कर्ज के बोझ तले दबती जा रही है महावितरण...
Mahavitaran is getting buried under the burden of debt.
महावितरण पर तकरीबन ६० हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। अन्य बिजली कंपनियों से खरीदी गई बिजली का भुगतान भी बकाया है। इधर, उपभोक्ताओं पर कंपनी का तकरीबन ४७.४३ करोड़ रुपए बकाया है। महावितरण राज्य में २ करोड़ ८० लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करती है। हाल ही में राज्य विद्युत नियामक आयोग ने महावितरण के ३९५६७ करोड़ रुपए की दर वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत वर्ष २०२३-२४ में २.९ प्रतिशत जबकि वर्ष २०२४-२५ में ५.६ फीसदी दर वृद्धि होगी। इसे लेकर विविध संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है।
मुंबई : आर्थिक संकट में फंसी राज्य की प्रमुख बिजली प्रदाता कंपनी महावितरण कर्ज के बोझ तले दबती जा रही है। अब कंपनी कर्ज लेकर अपने बकाए का भुगतान करेगी। इसके लिए राज्य सरकार ने कंपनी को कर्ज लेने की गारंटी देने का पैâसला किया है। हालांकि, कर्ज लेकर बकाए के भुगतान की तैयारी तो कर ली गई है लेकिन इसका भार बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ने की संभावना विशेषज्ञों ने व्यक्त की है। बिजली दर वृद्धि की मार से ग्राहक हलाकान हो सकते हैं। महावितरण कंपनी को २९ हजार २३० करोड़ रुपए का कर्ज लेने की गारंटी देने का पैâसला राज्य सरकार ने किया है।
यह निर्णय कल वैâबिनेट की बैठक में लिया गया। महानिर्मिती और महापारेषण कंपनी के बकाए भुगतान के लिए महावितरण को उक्त कर्ज लेना पड़ेगा। बताया गया है कि बिना सरकार की गारंटी के कोई भी वित्तीय संस्था महावितरण को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं थी। महावितरण कंपनी के महानिर्मिती व महापरेषण कंपनी का बकाया भुगतान की राशि २९ हजार २३० करोड़ रुपए है। इसमें मूल राशि १७ हजार २५२ करोड़ और ब्याज की राशि ११ हजार ९७८ करोड़ रुपए है। महावितरण कंपनी को कम से कम ब्याज पर कर्ज देनेवाली वित्तीय संस्था से कर्ज लेने की शर्त पर सरकार ने यह गारंटी देने का पैâसला लिया है।
महावितरण पर तकरीबन ६० हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। अन्य बिजली कंपनियों से खरीदी गई बिजली का भुगतान भी बकाया है। इधर, उपभोक्ताओं पर कंपनी का तकरीबन ४७.४३ करोड़ रुपए बकाया है। महावितरण राज्य में २ करोड़ ८० लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करती है। हाल ही में राज्य विद्युत नियामक आयोग ने महावितरण के ३९५६७ करोड़ रुपए की दर वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत वर्ष २०२३-२४ में २.९ प्रतिशत जबकि वर्ष २०२४-२५ में ५.६ फीसदी दर वृद्धि होगी। इसे लेकर विविध संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है।

