किसानों पर पड़ी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार! कीमत जनता को भी भुगतनी पड़ेगी...
Farmers hit by unseasonal rain and hailstorm! People will also have to pay the price.
तेज हवाओं और बारिश की वजह से कहीं-कहीं गेहूं के दाने टूट गए हैं या काले पड़ गए हैं। प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की ८-१० फीसदी फसल को नुकसान होने का अनुमान है। ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आगे मौसम साफ रहा और बारिश नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन १०.५ करोड़ टन के करीब रह सकता है। मगर मौसम खराब रहा तो उत्पादन १० करोड़ टन के नीचे जा सकता है।
मुंबई : ग्लोबल वार्मिंग कहें या मौसम का अलनीनो इफेक्ट, जिसके चलते मौसम चक्र बार-बार बिगड़ रहा है। मौसम की अटपटी चाल का सर्वाधिक दुष्परिणाम किसानों को भुगतना पड़ रहा है। खासकर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं लेकिन किसानों पर पड़ी बेमौसम की मार की कीमत अब जनता को भी भुगतनी पड़ेगी अर्थात जनता की जेब कटनेवाली है। बता दें कि पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश से रबी की फसल चौपट हो गई थी।
उसके बाद वहीं अक्टूबर-नवंबर की अनचाही बारिश ने गन्ना, प्याज, कपास जैसी नकदी फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया। इन सब वजहों से कृषि उपज को काफी नुकसान हुआ है। इसका असर अब उनके उत्पादन पर दिख रहा है और उपज कम होने के कारण इन फसलों के दाम बढ़ना तय माना जा रहा है। अर्थात वैâश क्रॉप (नकद फसल) कही जाने वाली इन फसलों के लिए ग्राहकों को ज्यादा कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर होगा और अब एक बार फिर उनकी जेब कटेगी।
गौरतलब हो कि देश के कई हिस्सों में प्याज की फसल तैयार है मगर बारिश के कारण पसरी नमी को देखते हुए कृषि विभाग फिलहाल प्याज की खुदाई नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। किंतु हाल की बारिश से प्याज का करीब ३० फीसदी तक उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। देश में सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन करने वाले राज्य महाराष्ट्र में तो पिछले छह महीनों में प्याज ने किसानों को हर दिन रोने पर मजबूर किया है। महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर में हुई बारिश के कारण सर्दियों में प्याज खेतों में ही खराब हो गया।
इससे पहले किसानों को रोना पड़ा लेकिन अब उपभोक्ताओं की रोने की बारी है। बारिश और तेज हवाएं चलने से गेहूं के उत्पादन का सही अनुमान नहीं लग पा रहा है। मौजूदा फसल वर्ष के दौरान बुवाई में इजाफा देखा गया था। मौजूदा फसल वर्ष २०२२-२३ में रिकॉर्ड ३४३.२ लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की बुवाई की गई। जानकारों के मुताबिक, अगेती फसल को तेज हवा और बारिश से नुकसान पहुंचा है। अगेती फसल की गुणवत्ता पर इससे असर पड़ने की संभावना है।
तेज हवाओं और बारिश की वजह से कहीं-कहीं गेहूं के दाने टूट गए हैं या काले पड़ गए हैं। प्रमुख उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की ८-१० फीसदी फसल को नुकसान होने का अनुमान है। ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आगे मौसम साफ रहा और बारिश नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन १०.५ करोड़ टन के करीब रह सकता है। मगर मौसम खराब रहा तो उत्पादन १० करोड़ टन के नीचे जा सकता है।

