जल्द मुंबई-अहमदाबाद के बीच ट्रेनों की स्पीड में बढ़ाेतरी
Speed of trains between Mumbai-Ahmedabad will be increased soon
मार्च 2025 तक मुंबई से अहमदाबाद रूट पर 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ने के लिए रेलवे तैयार हो जाएगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी इंजिनियरिंग काम पूरे हो चुके हैं। पश्चिम रेलवे पर मुंबई से अहमदाबाद के बीच 9 अगस्त 2024 को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से पहला ट्रायल हुआ था। इसमें 20 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन का इस्तेमाल हुआ था।
मुंबई: मार्च 2025 तक मुंबई से अहमदाबाद रूट पर 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ने के लिए रेलवे तैयार हो जाएगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी इंजिनियरिंग काम पूरे हो चुके हैं। पश्चिम रेलवे पर मुंबई से अहमदाबाद के बीच 9 अगस्त 2024 को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से पहला ट्रायल हुआ था। इसमें 20 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन का इस्तेमाल हुआ था। रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन की टीम द्वारा सफल ट्रायल किया गया था। इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाना मिशन रफ़्तार का हिस्सा है जो मुंबई से दिल्ली के बीच के लिए बना था। इस योजना के अंतिम चरण का काम मुंबई से नागदा तक, दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए 'मिशन रफ्तार' परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 रूट किमी और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट से जुड़े काम पूरे हो चुके हैं। मिशन से जुड़े अधिकारी की मानें, तो अब हर दो महीने में एक बार 130kmph के ट्रायल हो रहे हैं।इसके बाद कई चरणों में और अलग-अलग सेक्शन में 160 किलोमीटर प्रति घंटे के साथ ट्रायल होंगे।
आंकड़ों में प्रोजेक्ट
कॉरिडोर: मुंबई से दिल्ली
मंजूर: 2017-18
कुल लंबाई: 1,478 किमी
लागत: 8 हजार करोड़ रुपये
बन गई है सेफ्टी की फेंसिंग
स्पीड से ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है। मुंबई सेंट्रल से नागदा तक रूट के लिए विरार से नागदा तक 631km और वडोदरा से अहमदाबाद तक 185km के रूट को दीवार या मेटल फेंसिंग से सुरक्षित किया गया है। इनमें से 245km हिस्से पर दीवार और 571km हिस्से पर फेंसिंग बनाई जा चुकी है। इस पूरे रूट पर मुंबई सेंट्रल से विरार तक सबअर्बन सेक्शन होने और गोधरा से रतलाम के बीच जटिल मोड़ होने के कारण स्पीड नहीं बढ़ाई जा सकती है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी मुंबई से दिल्ली के बीच चलाने की संभावना है।
कवच से होगा सुरक्षित
पश्चिम रेलवे पर मुंबई सेंट्रल से नागदा (789 किमी) तक जरूरी मशीनरी इंस्टॉलेशन का काम पूरा हो गया है। मार्च, 2025 तक इसे लागू करने का टारगेट रखा गया है। पश्चिम रेलवे वर्तमान में मुंबई सेंट्रल-नागदा खंड, जिसमें वडोदरा-अहमदाबाद खंड शामिल है, पर कवचप्रणाली का काम 789 किलोमीटर और 90 इंजनों पर किया जा रहा है। पश्चिम रेलवे के अनुसार, 789 किलोमीटर में से 503 किलोमीटर पर लोकोमोटिव (इंजन) परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं और 90 इंजनों में से 73 इंजनों में कवच प्रणाली स्थापित की जा चुकी है। इस सेक्शन को 31 मार्च, 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है। बिना कवच के मिशन रफ्तार का काम आगे नहीं बढ़ेगा।
रेलवे का टारगेट 160 kmph
भारतीय रेलवे में फिलहाल ट्रेनों की औसत गति 70 से 80 किमी प्रतिघंटा है, जिसे रेलवे 160 किमी प्रतिघंटा करना चाहती है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने पटरियों के नीचे वाले बेस को चौड़ा किया है, ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे। इसके पूरे रूट पर 2x25000-वोल्ट (25 हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन) पावर लाइन बनाई गई है। इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 134 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है। 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल (पटरी) की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं। मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया गया है।
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