महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में मतभेद 

Differences in opposition alliance Maha Vikas Aghadi after defeat in Maharashtra assembly elections

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में मतभेद 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में शर्मनाक हार के बाद शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में तालमेल गड़बड़ाने लगा है। इस मुश्किल घड़ी में एकजुट होकर सत्ताधारियों से लड़ने की बजाय एमवीए के घटक दलों के बीच आपस में ही रस्साकशी और पराजय को लेकर आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है। कुछ ऐसा ही विधानसभा में विपक्ष के नेता के मामले में भी देखने को मिल रहा है। पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद शिवसेना (यूबीटी) के बाद कांग्रेस ने भी इस पद पर अपना दावा ठोक दिया है। 
विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीत महायुति को ऐतिहासिक जीत मिली है।

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में शर्मनाक हार के बाद शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में तालमेल गड़बड़ाने लगा है। इस मुश्किल घड़ी में एकजुट होकर सत्ताधारियों से लड़ने की बजाय एमवीए के घटक दलों के बीच आपस में ही रस्साकशी और पराजय को लेकर आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है। कुछ ऐसा ही विधानसभा में विपक्ष के नेता के मामले में भी देखने को मिल रहा है। पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के बावजूद शिवसेना (यूबीटी) के बाद कांग्रेस ने भी इस पद पर अपना दावा ठोक दिया है। 
विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीत महायुति को ऐतिहासिक जीत मिली है। विस चुनाव में 288 विधानसभा सीटों में 132 सीटें जीतकर बीजेपी राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। तो वहीं बीजेपी की सहयोगी शिवसेना (शिंदे गुट) 57 और एनसीपी 41 सीटें जीतकर क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर रही है। इस तरह से महायुति के विधायकों की संख्या 230 तक पहुंच गई है। 
दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन मविआ में शामिल शिवसेना (यूबीटी) को सर्वाधिक 20 जबकि कांग्रेस को 16 और राकां शरदचंद्र पवार को महज 10 सीटों पर ही जीत मिली है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के 2 विधायक जीते हैं। लेकिन पूरा विपक्षी खेमा 50 सीटों तक भी नहीं पहुंच पाया। 
 
10 फीसदी संख्या बल का नियम
नियमत: विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद पर वही पार्टी दावा ठोक सकती है, जिसके पास विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 288 की 10 फीसदी संख्या के बराबर अर्थात कम से कम 29 विधायक हो। विधानसभा में संख्याबल के आधार पर विपक्ष की किसी भी सियासी पार्टी के पास विपक्ष के नेता पद पर दावा ठोकने भर के लिए पर्याप्त विधायक नहीं है। 
ऐसे में पूरा विपक्ष मिलकर किसी एक विधायक को विपक्ष का नेता बनाने की मांग विधानसभा अध्यक्ष से करेगा, ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बीच विपक्ष के नेता के चुनाव से संबंधित नियम और कानून की जानकारी के लिए शिवसेना (यूबीटी) के केंद्रीय कार्यालय ने विधानमंडल के प्रमुख सचिव को एक पत्र दिया है। 

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