आर्थिक राजधानी मुंबई में अब कचरे से बनेगी बिजली... इस प्रॉजेक्ट पर 620 करोड़ रुपये खर्च होंगे

Electricity will now be generated from waste in the financial capital Mumbai. Rs 620 crore will be spent on this project.

आर्थिक राजधानी मुंबई में अब कचरे से बनेगी बिजली... इस प्रॉजेक्ट पर 620 करोड़ रुपये खर्च होंगे

देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे से बिजली उत्पादन की उम्मीद बढ़ी है। ग्राउंड में बिजली प्लांट का काम शुरू हो गया है, जो 2026 में पूरा होगा। यानी 3 साल बाद मुंबई में कचरे से बिजली उत्पादन शुरू हो सकता है। बीएमसी इस प्रॉजेक्ट के निर्माण पर 620 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, वहीं अगले 15 साल तक प्रॉजेक्ट के मेंटेनेंस पर 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बीएमसी घनकचरा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में इस प्लांट में 600 मीट्रिक टन कचरे से बिजली का उत्पादन होगा।

मुंबई: देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे से बिजली उत्पादन की उम्मीद बढ़ी है। ग्राउंड में बिजली प्लांट का काम शुरू हो गया है, जो 2026 में पूरा होगा। यानी 3 साल बाद मुंबई में कचरे से बिजली उत्पादन शुरू हो सकता है। बीएमसी इस प्रॉजेक्ट के निर्माण पर 620 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, वहीं अगले 15 साल तक प्रॉजेक्ट के मेंटेनेंस पर 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बीएमसी घनकचरा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में इस प्लांट में 600 मीट्रिक टन कचरे से बिजली का उत्पादन होगा।

इससे प्रतिदिन 6 मेगावाट बिजली मिलेगी। इस प्रॉजेक्ट पर 1020 करोड़ रुपये बीएमसी खर्च कर रही है। अधिकारी ने बताया कि प्रॉजेक्ट को गति देने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया था। जिस पर 49 करोड़ रुपये बीएमसी ने खर्च किए गए। कंसल्टेंट की देखरेख में प्लांट निर्माण का शुरू हुआ है। देवनार डंपिंग ग्राउंड पर ही बीएमसी दूसरा प्रॉजेक्ट भी शुरू करेगी। दूसरे चरण में 1200 मीट्रिक टन कचरे से बिजली उत्पादन की योजना है। भविष्य में प्रॉजेक्ट को 1800 मीट्रिक कचरे में तब्दील कर बिजली उत्पादन होगा। इससे प्रतिदिन करीब 10 मेगावॉट तक बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। यह योजना करीब एक दशक से लटकी है।

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2014 में भी पीपीपी मॉडल से परियोजना शुरू करने के लिए टेंडर मंगाया गया था, तब 6 कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाया थी। उसमें से 4 को फाइनल किया गया, लेकिन इन कंपनियों में अनुभव की कमी थी और कई शर्तों को पूरा करने में असमर्थ थीं। इसके कारण बीएमसी ने 2015 में इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया था। इसके बाद 2016 में एक कंपनी को सलाहकार नियुक्त किया गया, जिसके बाद टेंडर मंगाया गया, लेकिन अंतिम तारीख 7 नवंबर 2017 तक एक भी निविदा नहीं आई। उसके बाद बिजली उत्पादन के इस प्रॉजेक्ट की क्षमता 3 हजार से घटाकर 6 सौ मीट्रिक टन का कर दिया गया। फिर साल 2018 में नया टेंडर मंगाया गया। इसमें कुल 3 कंपनियों ने रुचि दिखाई। उसमें से चेन्नई एमएसडब्ल्यू प्राइवेट लिमिटेड को इस परियोजना के लिए फाइनल किया गया।

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