आठवें वेतन आयोग का गठन की हो रही मांग... क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक में लेंगे फैसला
There is a demand for the formation of the Eighth Pay Commission… Will Prime Minister Narendra Modi take a decision in the cabinet meeting?
आठवें वेतन आयोग का गठन जल्द किया जाना चाहिए. यह बात केंद्रीय कर्मचारियों के संघ लगातार कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज 17 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक कर सकते हैं. केंद्रीय कर्मचारियों को लगता है कि इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी क्या इस बैठक में महंगाई भत्ता के अलावा आठवें वेतन आयोग के गठन की खबर भी उन्हें तोहफे के रूप में दे सकते हैं.
आठवें वेतन आयोग का गठन जल्द किया जाना चाहिए. यह बात केंद्रीय कर्मचारियों के संघ लगातार कर रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज 17 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक कर सकते हैं. केंद्रीय कर्मचारियों को लगता है कि इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी क्या इस बैठक में महंगाई भत्ता के अलावा आठवें वेतन आयोग के गठन की खबर भी उन्हें तोहफे के रूप में दे सकते हैं.
यानि क्या आठवें वेतन आयोग के गठन के साथ ही प्रक्रिया चालू हो जाएगी कि किस प्रकार से और कितना वेतन केंद्रीय कर्मचारियों को बढ़ाया जाए या ये इंतजार केवल इंतजार ही रह जाएगा. अमूमन हर 10 साल में केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन आयोग के गठन के माध्यम से वेतन में ठोस बढ़ोतरी का मौका मिलता है. सरकार इस प्रकार के आयोग के गठन के साथ कर्मचारी संगठनों के साथ चर्चा आरंभ करती ताकि अलग-अलग परिस्थिति में काम करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को बढ़ाया जाए और काम के अनुसार भत्तों को तय किया जाए. बता दें कि पिछले वेतन आयोग के लागू होने के बाद भी कई केंद्रीय कर्मचारियों में न्यूनतम वेतनमान को लेकर असंतोष बरकरार रहा और वे काफी समय तक इस प्रयास में रहे कि सरकार उनकी मांगों को मान लें. लेकिन अंतत: ऐसा नहीं हो पाया था.
यह अलग बात है कि बीच-बीच में सरकार की ओर से कुछ मांगों को बाद में स्वीकार भी किया गया था. 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के साथ ही कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत के तौर पर एमएसीपी को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा स्वीकारना बना था. बता दें कि इससे खास तौर पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी. जानकारी दे दें कि सातवें वेतन आयोग से पहले 7000 रुपये न्यूनतम वेतनमान हुआ करता था.
जबकि लागू होने के बाद इसे 18000 रुपये कर दिया गया. तब सरकारी कर्मचारियों की यूनियन इसे 26000 करने की मांग कर रही थीं. जबकि एक समय आया था (सूत्रों के हवाले से जानकारी) कि सरकार इसे 21000 करने पर तैयार हो गई थी, लेकिन यह बात केवल चर्चाओं में रही और कर्मचारी इसके लिए तैयार नहीं थे. वर्तमान में केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से इसकी सिफारिशों के हिसाब से वेतन दिया जा रहा है. सातवां पे कमीशन 28 फरवरी, 2014 को गठित किया गया था. इस आयोग का अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके माथुर को बनाया गया था. इसे 1 जनवरी, 2016 से लागू किया जा चुका है. इसे लागू करने की घोषणा 29 जून 2016 को मोदी कैबिनेट की बैठक में लिया गया था.
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