बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का काम हो सकता है प्रभावित! प्रॉजेक्ट के खिलाफ स्थानीय मछुआरों ने क्यों खोला मोर्चा?

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बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का काम हो सकता है प्रभावित! प्रॉजेक्ट के खिलाफ स्थानीय मछुआरों ने क्यों खोला मोर्चा?

मुंबई शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए बांद्रा- वर्सोवा सी लिंक बनाया जा रहा है। फ़िलहाल यहां डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है लेकिन सी लिंक बनने के बाद यह सफर आधे घंटे के अंदर पूरा हो जायेगा। हालांकि, इस प्रोजेक्ट में देरी के संकेत मिल रहे हैं।

मुंबई: बांद्रा से वर्सोवा सी लिंक का निर्माण कार्य एक बार फिर बाधित हो सकता है। इस प्रॉजेक्ट के खिलाफ स्थानीय मछुआरों ने मोर्चा खोल दिया है। मच्छीमार संगठनों को मुंबई के दूसरे सी-लिंक से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन निर्माण कार्य के दौरान उनके हितों की उपेक्षा करने का डर सता रहा है। जीविका से जुड़ा होने का मामला होने और कई प्रलंबित मांगों के पूरा नहीं किए जाने की स्थिति में मछुआरों ने अब सी-लिंक प्रॉजेक्ट का विरोध करने का फैसला किया है। उपनगर की ट्रैफिक की समस्या को दूर करने के लिए 17 किमी लंबे सी -लिंक का निर्माण कार्य शुरू है। समुद्र पर बनने वाले इस ब्रिज की वजह से बांद्रा, खार, वर्सोवा समेत अन्य तटीय इलाकों में स्थित कोलीवाड़ा प्रभावित हो रहा है। कुछ स्थानों पर मछुआरों को बोट समुद्र में लाने-ले जाने की समस्या आ रही है। बोट की पार्किंग स्थल को लेकर भी असर पड़ेगा। हालांकि प्रॉजेक्ट से प्रभावित होने वाले मछुआरों के परिवारों को लेकर नीतिगत निर्णय लेने, नुकसान भरपाई और प्रभावित परिवारों की संख्या तय करने के लिए सर्वे समेत अन्य कार्यों के लिए महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) ने सलाहकार नियुक्त करने का निर्णय लिया है...Bandra-Versova sea link work may be affected...

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मछुआरों का कहना है कि प्रॉजेक्ट से प्रभावित होने वालों का सर्वे होना चाहिए। पुनर्वास व अन्य नीतिगत निर्णय के लिए सरकार की तरफ से निजी कंपनी के सलाहकार नियुक्त करने के निर्णय का भी विरोध किया है। महाराष्ट्र मच्छीमार कृति संगठन के सचिव किरण कोली के अनुसार, सही तरीके से समस्या जानने और उसके समाधान के लिए सर्वे के काम में मछुआरों और स्थानीय़ नागरिकों को शामिल करना चाहिए। एयरकंडीशंड ऑफिस में बैठनेवाले कंपनी सलाहकारों को समुद्र के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। लो टाइड और हाई टाइड के दौरान आने वाली दिक्कतों का कोई ज्ञान नहीं होगा। जमीनी हकीकत जाने बगैर सही सर्वे भी नहीं हो सकता है। सी लिंक के निर्माण का कोई विरोध नहीं है, लेकिन मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य होना चाहिए।

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कोली के मुताबिक, सी लिंक की वजह से कई स्थानों पर बोट का पार्किंग स्थल और बोट के पानी में आने-जाने का मार्ग बाधित होगा। हाई टाइड और लो टाइड के दौरान पानी के स्तर को ध्यान में रखते हुए बोट पार्किंग की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पानी कम होने पर पत्थर से टकराने से बोट को नुकसान नहीं पहुंचेगी। अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सभी दिक्कतों से अवगत करा दिया गया है। कई मांगे अधिकारियों ने मान्य भी कर ली है, लेकिन अब तक उनकी तरफ से लिखित आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ है...Bandra-Versova sea link work may be affected...
 
2018 से बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का निर्माण कार्य चल रहा है। पुराने ठेकेदार मंद गति से काम कर रहा था। 2022 के मध्य तक केवल 2 प्रतिशत काम ही हो पाया था। अब मुंबई के इस महत्वपूर्ण प्रॉजेक्ट को पूरा करने का जिम्मा दूसरी कंपनी को दिया गया है। नई कंपनी ने अक्टूबर 2022 से दोबारा काम शुरू कर दिया है। करीब चार साल से ठप पड़े मुंबई के दूसरे सी लिंक के निर्माण कार्य भी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे हैं। अब तक ब्रिज तैयार करने का काम 7 फीसदी तक पूरा हो चुका है।

सी लिंक के बन जाने से बांद्रा से वर्सोवा के बीच की दूरी 20 से 25 मिनट में तय की जा सकेगी। फिलहाल डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। 8 लेन वाले सी लिंक के निर्माण पर कुल 11 हजार 332 करोड़ रुपये खर्च होंगे। लगभग 17 किलोमीटर लंबेा सी लिंक बांद्रा के कार्टर रोड, जुहू से होते हुए वर्सोवा तक पहुंचेगा...Bandra-Versova sea link work may be affected...