चेंबूर स्थित सिंधी सोसाइटी का १० साल से रुका हुआ है पुनर्विकास...

Redevelopment of Sindhi Society located in Chembur has been stalled for 10 years...

चेंबूर स्थित सिंधी सोसाइटी का १० साल से रुका हुआ है पुनर्विकास...

२०११ में बस्ती तोड़ना शुरू हुआ। २०१२ में मूल जगह से १ किमी दूर ट्रांजिट कैंप बनाया गया। इस बिल्डिंग का ऑडिट हर ६ महीने में किया जाना चाहिए। साथ ही यदि कोई मेंटेनेंस का काम किया जाता है तो उसकी रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया था। लेकिन २०१२ से लेकर अब तक बिल्डर की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। बिल्डिंग में पहले लिफ्ट की सुविधा नहीं थी। बाद में लिफ्ट बनाने की वजह से बिल्डिंग पर दबाव भी पड़ा और हालत खराब हो गई।

मुंबई : मुंबई में एसआरए के ऐसे कई प्रोजेक्ट्स हैं, जिनका पुनर्विकास कई सालों से अटका हुआ है, कभी बिल्डर फरेबी निकलता है तो कभी कमिटी और बिल्डर के बीच मतभेद के कारण प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाता है। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट मुंबई के चेंबूर में स्थित सिंधी सोसाइटी का है, जिसका पुनर्विकास १० साल से अधिक समय से रुका हुआ है। लोगों का कहना है कि बिल्डिंग जर्जर हो गई है। यदि बिल्डिंग गिरती है तो इसका जिम्मेदार बिल्डर होगा।

बता दें कि २००९ में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। २०११ में बस्ती तोड़ना शुरू हुआ। २०१२ में मूल जगह से १ किमी दूर ट्रांजिट कैंप बनाया गया। इस बिल्डिंग का ऑडिट हर ६ महीने में किया जाना चाहिए। साथ ही यदि कोई मेंटेनेंस का काम किया जाता है तो उसकी रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया था। लेकिन २०१२ से लेकर अब तक बिल्डर की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। बिल्डिंग में पहले लिफ्ट की सुविधा नहीं थी। बाद में लिफ्ट बनाने की वजह से बिल्डिंग पर दबाव भी पड़ा और हालत खराब हो गई।

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सोसाइटी में रहनेवालों का यह आरोप है कि कमेटी मेंबर बिल्डर के साथ मिले हुए हैं इसलिए अब बिल्डिंग के कुछ जिम्मेदार लोगों ने वहां पर मीटिंग लेना शुरू कर दिया है। सोसाइटी में मेंटेनेंस का काम भी रोक दिया गया है। क्योंकि इस वजह से सोसाइटी पर दबाव पड़ सकता है और कुछ हिस्सा गिर भी सकता है। इस बिल्डिंग को लेकर रिपोर्ट भी आरटीआई के जरिए मांगी गई थी।

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ध्यान देनेवाली बात यह है कि बिल्डर ने इस बिल्डिंग को खतरनाक घोषित किया है और नोटिस भेजी है कि बिल्डिंग को जल्द से जल्द खाली कर दिया जाए लेकिन रहवासी चिंता में हैं कि यदि उन्हें कहीं और रहने का भाड़ा समय पर नहीं मिला तो वे क्या करेंगे?

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क्योंकि जब चॉल को तोड़ा गया था, तब वहां पर ३५० परिवार रहा करते थे, जिनमें से १०० लोग ट्रांजिट वैंâप में शिफ्ट हुए तो वही बचे हुए लोग भाड़ा लेकर बाहर रहने लगे। लेकिन कुछ सालों बाद यह भाड़ा देरी से मिलने लगा। यदि वह भी पैसे लेकर बाहर रहने जाते हैं तो उन्हें भी इस समस्या से जूझना पड़ेगा पर अब लोगों का कहना है कि बिल्डर ने उन्हें कहा है कि १५ नवंबर को काम शुरू करेगा।

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