सोलापुर के लोग शिवसेना के NCP तोड़फोड़ से हैं नाराज...
People of Solapur are angry with Shiv Sena's NCP sabotage...
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मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजिनियर विराज देशमुख ने कहा कि कभी महाराष्ट्र विकास के लिए चर्चा में रहता था, लेकिन अब सत्ता कैसे हथियाएं और पार्टी पर कैसे कब्जा करें इसको लेकर सुर्खियों में रहता है। उन्होंने बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक राजनीतिक दल अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए यह सब कर रहा है। उन्होंने बात-बात में कहा कि महाराष्ट्र में सबसे कम वोटिंग का कारण यही है कि लोगों की राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं है।
सोलापुर: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। सत्ताधारी महायुति और विपक्षी महा विकास आघाडी राज्य की 48 सीटों पर जोर आजमाइश कर रहे हैं। सभी दलों के जीतने के अपने अपने दावे और तर्क हैं। आम लोगों का क्या मत है यह जानने की हमने कोशिश की मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से सोलापुर आने वाली वंदे भारत के यात्रियों से की बात से एक निष्कर्ष निकला कि महाराष्ट्र में पिछले दो साल में शिवसेना और NCP में हुई राजनीतिक तोड़फोड़ पसंद नहीं आई।
मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजिनियर विराज देशमुख ने कहा कि कभी महाराष्ट्र विकास के लिए चर्चा में रहता था, लेकिन अब सत्ता कैसे हथियाएं और पार्टी पर कैसे कब्जा करें इसको लेकर सुर्खियों में रहता है। उन्होंने बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक राजनीतिक दल अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए यह सब कर रहा है। उन्होंने बात-बात में कहा कि महाराष्ट्र में सबसे कम वोटिंग का कारण यही है कि लोगों की राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं है।
योगेश काटकर ने कहा कि राज्य में जिस तरह से दलों में तोड़फोड़ हुई है उससे लोग भ्रम की स्थिति में हैं। महाराष्ट्र शायद देश का पहला राज्य होगा जहां दो-दो शिवसेना और दो-दो एनसीपी हैं। यह किसी भी राज्य के लिए ठीक नहीं है। भतीजा, चाचा से और विधायक पार्टी प्रमुख से पार्टी छीन लेता है। उनका इशारा अजित पवार और एकनाथ शिंदे की तरफ था।
बाला साहेब को गुजरे एक दशक से अधिक हो गया लेकिन लोगों का आज भी उन पर वैसा ही विश्वास कायम है। नौकरी करने वाले निखिल पाटिल ने कहा कि अगर आज बाला साहेब ठाकरे होते तो राज्य की यह हालत नहीं होती। चुनावी प्रचार में नेता एक-दूसरे को गाली दे रहे हैं। कहीं ननद भौजाई को लड़ाया जा रहा है तो कहीं देवर भौजाई आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव में पढ़ाई बेहतर कैसे हो, बेरोजगारी दूर करने की क्या योजना है, महंगाई का कोई जिक्र नहीं है।
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