मुंबई के चार साइबर पुलिस स्टेशनों में कुल २,००२ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज

A total of 2,002 online financial fraud cases have been registered in four cyber police stations in Mumbai

मुंबई के चार साइबर पुलिस स्टेशनों में कुल २,००२ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज

 मुंबई शहर में ऑनलाइन ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, २०२१ से अप्रैल २०२५ तक, मुंबई के चार साइबर पुलिस स्टेशनों में कुल २,००२ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए। लेकिन इतने सारे मामलों में से सिर्फ दो मामलों में ही आरोपी दोषी साबित हो सके हैं। यह आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है।

मुंबई :  मुंबई शहर में ऑनलाइन ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, २०२१ से अप्रैल २०२५ तक, मुंबई के चार साइबर पुलिस स्टेशनों में कुल २,००२ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए। लेकिन इतने सारे मामलों में से सिर्फ दो मामलों में ही आरोपी दोषी साबित हो सके हैं। यह आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है।

 

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रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी इलाके में लोगों को सबसे ज्यादा चूना लगाया गया, जहां ३३५.६ करोड़ रुपए की ठगी हुई। इसके बाद पूर्वी इलाके में १९८.३ करोड़ रुपए, दक्षिण मुंबई में १५५.९ करोड़ रुपए और मध्य मुंबई में १३३.४ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इन मामलों में फर्जी निवेश योजना, नौकरी दिलाने का झांसा, नकली बिजली बिल, क्रिप्टोकरेंसी फ्राॅड, सेक्सटॉर्शन और शादी के नाम पर धोखाधड़ी जैसे तरीके इस्तेमाल किए गए।

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उम्मीद की किरण है बाकी
हालांकि सरकार और पुलिस विभाग साइबर अपराधियों से निपटने के लिए नए कदम उठा रहा है। साइबर लैब्स बनाना, पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देना और साइबर कमांडो तैयार करना जैसी योजनाएं शुरू हो चुकी हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जांच प्रणाली को और मजबूत नहीं किया जाएगा और डिजिटल सबूतों को सुरक्षित करने में तेजी नहीं लाई जाएगी, तब तक दोषियों को सजा दिलाना आसान नहीं होगा। आज जरूरत है कि तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर काम किया जाए ताकि मुंबई के नागरिक डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रह सकें।

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जांच में कई बड़ी मुश्किलें
रिपोर्ट बताती है कि साइबर अपराधियों को पकड़ना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि वे अलग-अलग राज्यों से अपराध करते हैं। देर से शिकायत दर्ज कराना, डिजिटल सबूतों को समय पर सुरक्षित न कर पाना और तकनीकी जानकारी की कमी से जांच कमजोर पड़ जाती है। इसके अलावा, पुलिसकर्मियों की सही ट्रेनिंग न होना, स्टाफ की कमी और बार-बार अधिकारियों के तबादले भी दोषियों को सजा दिलाने में बाधा बनते हैं।

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