इलेक्ट्रॉनिक एसी बसो की राह मे टैंपो बन रहे बडी बाधा खाली बसे लेकर चक्कर लगाने को मजबूर चालक
प्रकाश वीर आर्य/कानपुर
कानपुर। उत्तर प्रदेश चुनाव से पूर्व शुरू हुई इलेक्ट्रॉनिक एसी बसो की हालत वर्तमान मे खस्ता है।बसो का स्टापेज न होने के कारण सवारियों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ज्यादातर को यही नही मालूम की इस रूट पर बस आएगी भी या नही।इस कारण आम नागरिक खटारा व मैहंगे दूसरे वाहनो पर यात्रा करने को मजबूर है।
शुरुआत मे लगभग 60 पीली इलेक्ट्रॉनिकस एसी युक्त बसे शहर आयी।40 और बसे जल्द ही आने वाली है यानि कि शहर मे कुल 100 बसे हो जाएंगी।इन बसो का बडी ही धुमधाम से शहर प्रशासन द्वारा उदघाटन कराया गया।शानदार प्रदुषण रहित बैटरी चालित इन एसी बसो के आने से शहरवासी भी खुब उत्साहित दिखे उन्हें लगा कि इन बसो के आने से वे भी अब दुसरे बडे महानगरों की तरह यहां भी बेहतरीन सवारी का लुफ्त उठा सकेंगे।परन्तु बसो के स्टापेज न होने से वे एसी बस का मजा नही ले पा रहे है।आएदिन रुट बदलने से भी जनता को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड रहा है।
जबकि देखा जाए तो उक्त चिलचिलाती भीषण गर्मी में उक्त बसो मे सफर बहुत ही आरामदायक होने के साथ ही साथ सस्ता भी है।दूसरे प्राइवेट सवारी वाहनो की अपेक्षा बसो का किराया भी काफी कम लगभग आधा है फिर भी बसो मे सवारी बैठने के लाले पड रहे है।स्टापेज न होने से चालक भी बस को नही रोकते और चलती बस मे जो चड जाए तो ठीक अन्यथा बस को देखकर लोग उसे ताकते रह जाते है और मन मसोसकर दूसरे वाहनो मे सवारी करने को मजबूर हो जाते है।शहर मे जिन चौराहों पर थोडी बहुत जगह है वहां टैंपो,आटो व ईरिक्शा वालो का कब्जा है।इनसे हर माह यातायात एवं थाना पुलिस को चौथ मिलती है।
इनसे थाना पुलिस द्वारा बेगारी भी कराई जाती है।यही कारण है कि ये बेखौफ होकर बीच चौराहे सवारियां बैठाते है।सरकारी बसे जब यहां पहुचती है तो टैंपो चालक उन्हें यहां बसे नही खडी करने देते इस कारण वे बिना सवारी भरे ही चौराहों से निकल जाते है और पुलिस मुकदर्शक बन यह सब देखती रहती है।इलेक्ट्रॉनिक बसे चलने से जंहा डग्गामार वाहन वाले परेशान हैं वहीं पुलिस भी ऊपरी कमाई बंद होने की आंशका से खिसियाई रहती है।कोई भी कंपनी हो या सरकार किसी भी चीज मे ज्यादा समय तक घाटा नही झेल सकते है ।यही कारण है कि सरकार ने कई घाटे वाली सार्वजनिक ईकाइयों को प्राइवेट सैक्टर को बेच दिया है।अगर ऐसें ही सरकारी बसे शहर की सडकों पर खाली दौडती रही तो इनका घाटे मे जाना तय है फिर मजबूर होकर भविष्य में सरकार को इन्हें बंद करने का फैसला भी लेना पड सकता है।
शहर प्रशासन को चाहिए कि वह बसो की राह मे रूकावट बन रही चीजो को दूर करे जिससे शहरवासी शानदार सवारी का लुफ्त उठाते रहे।इन बसो को शहर मे चलाने को लेकर यदि प्रशासन वाकई गंभीर है तो उसे चाहिए कि वह चौराहो को बेतरतीब ढंग से घेरे टैंपो चालकों पर सख्ती करे। इन बसो के जगह-जगह स्टापेज बनवाए ताकि बस वाले कम से कम दो मिनट बस रोक कर उनका इन्तजार कर रही सवारियों को बैठा सके।सवारी बैठेंगी तो सरकार की आमदनी मे भी इजाफा होगा और जनता को भी राहत मिलेगी अन्यथा उक्त शानदार एयरकंडीशनर बसे एक दिन इतिहास बनकर रह जाएंगी
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