७/११ वर्ष २००६ लोकल सीरियल ब्लास्ट की बरसी, धमाकों में २०९ निर्दोष लोगों की मौत…
Rokthok Lekhani
मुंबई : ७/११ यानी वर्ष २००६ के जुलाई महीने की ७ तारीख के उस काले दिन की दर्दनाक यादें। उस दिन मुंबई की लाइफ लाइन कही जानेवाली लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक ऐसे ७ शृंखलाबद्ध धमाके हुए थे। पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेनों में हुए उन धमाकों में २०९ निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी, जबकि ७०० से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। उक्त घटना की आज बरसी है।
१६ साल बाद भी लोकल ट्रेनों में सफर करनेवाले यात्री उन धमाकों को याद करके कांप उठते हैं। लोकल के यात्रियों को आज भी डर लगता है लेकिन रेलवे ने इससे कोई सबक सीखा होगा, ऐसा लगता नहीं है। रेलवे पुलिस और आरपीएफ चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था का दावा तो करती है लेकिन हकीकत में यात्रियों की सुरक्षा रामभरोसे ही नजर आती है। बता दें कि आज ही के दिन २००६ में माहिम से भायंदर के बीच लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक ७ धमाके उस समय हुए थे, जब दिनभर के काम निपटा कर लोग घर जा रहे थे।
इन धमाकों के बाद कुछ दिनों के लिए रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई थी। रेल परिसर खासकर प्लेटफॉर्मों पर सीसीटीवी से निगरानी रखे जाने, प्रवेश द्वारों पर संदिग्धों की जांच के लिए रेल पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। मेटल डिटेक्टर एवं डोर प्रेâम मेटल डिटेक्टर के जरिए यात्रियों की जांच की जाती थी, लेकिन उस घटना के कुछ दिन बाद सुरक्षा व्यवस्था शिथिल हो गई। नतीजतन दो साल बाद यानी २६ नवंबर, २००८ को मुंबई के रेल यात्री एक बार फिर आतंकी हमले का शिकार बन गए। २६ / ११ आतंकी हमले के रूप में जाने जानेवाले मध्य रेलवे के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर हुए उक्त आतंकी हमले को भी अब रेलवे ने भुला दिया है।
ट्रेन में यात्रा करने वाली पूजा ने बताया कि हमारी सुरक्षा रामभरोसे है। लेडीज डिब्बे में सामान बेचने वाले, भिखारी सहित अन्य लोग घुस जाते हैं। आपातकालीन स्थिति में सहायक बूथ पर पुलिस के जवान भी नहीं रहते हैं, वहीं फस्र्ट क्लास में यात्रा करनेवाली दर्शाना लक्ष्मण झोरे ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा सिर्पâ दिखावा है। रेलवे प्रशासन की लापरवाही, मनमानी के बीच जनरल डिब्बे के लोग भी फस्र्ट क्लास में सफर करते हैं। इस दौरान पुलिस स्टेशन पर नजर नहीं आती है।
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