जीएसटी वसूली में अव्वल... कर्ज हुआ बेहद महंगा
Top in GST recovery... loan became very expensive

जबसे देश में मोदी युग आया है, हिंदुस्थान में एक से बढ़कर एक कमाल देखने को मिल रहे हैं। सबसे बड़ा कमाल तो ये है कि ‘राजा’ की आमदनी तो बढ़ी है, पर प्रजा है कि कंगाल होती जा रही है। गत महीने केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी से अव्वल कमाई की है, पर जनता की आमदनी घटी है।
मुंबई : जबसे देश में मोदी युग आया है, हिंदुस्थान में एक से बढ़कर एक कमाल देखने को मिल रहे हैं। सबसे बड़ा कमाल तो ये है कि ‘राजा’ की आमदनी तो बढ़ी है, पर प्रजा है कि कंगाल होती जा रही है। गत महीने केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी से अव्वल कमाई की है, पर जनता की आमदनी घटी है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों के पास नौकरियां नहीं हैं और बेरोजगारी अपने चरम पर है।
गत माह सरकार ने जीएसटी से करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। दूसरी तरफ इसी दिसंबर महीने बेरोजगारी दर बढ़कर ८.३ फीसदी पर पहुंच गई जो १६ महीने का सर्वाधिक है। वहीं आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने से घर व वाहन के कर्ज महंगे हो गए हैं। इन सबके बीच मोदी सरकार देश की सरकारी कंपनियों को बेचने में जुटी हुई है। इन पैसों से वह अपना बजट घाटा पाटने की कोशिश में है।
जब से केंद्र में मोदी सरकार सत्ता में आई है तबसे वो आमदनी से ज्यादा खर्चा कर रही है। इस कारण सरकार का चालू खाते में घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार की इस कार्यप्रणाली पर कहा जा सकता है कि आमदनी चवन्नी और खर्चा सवा रुपैया। अब मोदी सरकार इस घाटे को पाटने के लिए सरकारी संपत्ति यानी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेच रही है। बता दें कि देश में इस समय बेरोजगारी और महंगाई अपने चरम पर है।
दूसरी तरफ सरकार की जीएसटी से कमाई बढ़ती जा रही है। मगर कमाई की तुलना में सरकार का खर्च काफी ज्यादा है। दूसरी तरफ देश की आम जनता हलाकान है। कोविड प्रतिबंधों के कारण हर आदमी की कमाई घटी है। उसकी कमाई पर लगाम लग गया है, जबकि खान-पान से लेकर हर चीज पर सरकार ने जीएसटी का बोझ लाद दिया। इससे आम आदमी ‘लगान’ यानी जीएसटी के बोझ तले दबता चला गया।
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