रात के समय स्टेशन मास्टर के बिना ही चल रहे हैं १८ रेलवे स्टेशन...

18 railway stations are running without station master at night.

रात के समय स्टेशन मास्टर के बिना ही चल रहे हैं १८ रेलवे स्टेशन...

नियमों के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी अपने काम के अलावा ज्यादा समय काम में दिया तो सुरक्षा की नजरों से उसे सी ऑफ देना चाहिए जो कि नहीं मिल रहा है। जब भी कोई घटना होती है और ट्रेन रुक जाती है, तो ट्रेन में मौजूद गार्ड तुरंत कंट्रोल को घटना के बारे में बताता है।

मुंबई : मुंबईकरों की लाइफ लाइन कही जानेवाली मुंबई की लोकल ट्रेनें रात के समय रामभरोसे चल रही हैं। क्योंकि मुंबई के कई उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर रात के समय कोई मालिक या जिम्मेदार अधिकारी नहीं रहता है। १८ स्टेशन स्टेशन मास्टर के बिना ही चल रहे हैं। इस तरह से मुंबईकरों की सुरक्षा से खिलवाड़ का मामला सामने आया है।

ऐसा सनसनीखेज खुलासा एक आरटीआय के जरिए हुआ है। कई स्टेशनों पर हमाल मौजूद नहीं हैं। हमें कई बार घायल व्यक्ति या मृत व्यक्ति को उठाने के लिए अन्य लोगों की मदद लेनी पड़ती है। घायल व्यक्ति को एक आदमी नहीं उठा सकता और जब मामला स्वास्थ सुरक्षा को लेकर हो तब हमें हमाल की जरूरत पड़ती है। कई बार हमें जूता पॉलिश करनेवाले लोगों से मदद की विनती करनी पड़ती है।

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बता दें कि वेस्टर्न रेलवे के कई स्टेशनों पर रात में स्टेशन मास्टर ही नहीं हैं। ऐसे में इन स्टेशनों पर लोगों की जिंदगी भगवान के भरोसे है। मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिम रेलवे के चर्नी रोड, माटुंगा रोड, खार, विलेपार्ले, राममंदिर और दहिसर स्टेशनों पर रात के वक्त स्टेशन मास्टर नहीं रहते हैं।

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इन स्टेशनों पर रात के वक्त स्टेशन मास्टर का कार्य पोर्टर द्वारा किया जा रहा है। एक अधिकारी ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि स्टेशन मास्टर की कमी पिछले कई महीनों से चली आ रही है। इसके अलावा मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों पर अतिरिक्त कार्य का भार दिया जा रहा है।

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नियमों के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी अपने काम के अलावा ज्यादा समय काम में दिया तो सुरक्षा की नजरों से उसे सी ऑफ देना चाहिए जो कि नहीं मिल रहा है। जब भी कोई घटना होती है और ट्रेन रुक जाती है, तो ट्रेन में मौजूद गार्ड तुरंत कंट्रोल को घटना के बारे में बताता है। फिर कंट्रोल इसकी सूचना करीबी स्टेशन के स्टेशन मास्टरों को देता है, जो जीआरपी, हमाल के साथ स्ट्रेचर और प्राथमिक चिकित्सा उपकरण लेकर घटनास्थल पर जाते हैं।

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इस बीच ट्रेन गार्ड साइट पर जाएगा और घायल व्यक्ति को देखेगा कि यह मामूली चोट है या गंभीर चोट है। यदि यह मामूली चोट है और यदि पीड़ित चलने और अगले स्टेशन तक जाने की स्थिति में है, तो गार्ड उसे अगले स्टेशन पर ले जाएगा और उसे आगे के इलाज के लिए अस्पताल भेजने के लिए स्टेशन के स्टेशन मास्टर को सौंप देगा।

लेकिन अगर पीड़ित गंभीर रूप से घायल है और हिलने-डुलने की स्थिति में नहीं है, तो वह स्टेशन मास्टर के आने की प्रतीक्षा करेगा और आने के बाद स्टेशन मास्टर घायल व्यक्ति को देखेगा और आगे के इलाज के लिए अस्पताल में उसके स्थानांतरण की व्यवस्था करेगा।

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