बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय रेल मंत्री को मुआवजे के मुद्दे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा
Bombay High Court asked the Union Railway Minister to consider the compensation issue sympathetically

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानवीय पीड़ा के एक दुर्लभतम मामले में केंद्रीय रेल मंत्री को मुआवजे के मुद्दे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा है। मामला 17 वर्षीय युवती निधि जेठमलानी का है, जिसका करीब आठ साल पहले कॉलेज जाते समय मरीन ड्राइव में सड़क पार करते समय एक्सीडेंट हो गया था।
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानवीय पीड़ा के एक दुर्लभतम मामले में केंद्रीय रेल मंत्री को मुआवजे के मुद्दे पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा है। मामला 17 वर्षीय युवती निधि जेठमलानी का है, जिसका करीब आठ साल पहले कॉलेज जाते समय मरीन ड्राइव में सड़क पार करते समय एक्सीडेंट हो गया था। यह हादसा पश्चिम रेलवे की इनोवा कार से हुआ था। दुर्घटना 28 मई 2017 को सुबह 11 बजे हुई थी। तब निधि कॉलेज में एडमिशन के लिए जा रही थी।
सिर में लगी थी चोट
एक्सीडेंट में लड़की के सिर पर गहरी चोट लगी थी। दुर्भाग्यपूर्ण इस हादसे का प्रभाव इतना भयानक था कि इसने होनहार निधि का खुशमिजाज जीवन बिखेर दिया। कोमा की अवस्था ने लड़की को जीते जी मुर्दा बना दिया है। दुर्घटना के बारे में पढ़ने के लिए एक डॉक्टर को भी काफी साहस की जरूरत पड़ेगी। लड़की की वर्तमान स्थिति किसी को भी दुखी कर सकती है। फिर निधि के माता की मनःस्थिति क्या होगी। यह कल्पना से परे है। कोर्ट में निधि के पिता की ओर से मुआवजे में वृद्धि की मांग से जुड़ी अपील पर सुनवाई चल रही है।
परिवार ने किए हर संभव प्रयास
लड़की की हालत से व्यथित जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की बेंच ने कहा कि पीड़िता सहित पूरे परिवार की पीड़ा और कष्ट असहनीय है। पैसे किसी भी तरह से निधि के दर्द और उसकी फैमिली के सदस्यों आघात की भरपाई नहीं कर सकते है। अविश्वसनीय ढंग से निधि के माता पिता ने घर में कोमा में पड़ी बेटी के इलाज के लिए हर संभव प्रयास किया है, ऐसी परिस्थिति में पैसों की जरूरत होना स्वाभाविक है, जो राहत देनेवाला एक जरिया बनेगा। इसलिए रेलवे केस में समझौते के लिए उदारता दिखाए। हमारा आग्रह है कि केस के समग्र तथ्यों पर रेलवे के अधिकारी उच्च स्तर पर यानी केंद्रीय रेल मंत्री से मामले में निर्देश ले और मंत्री मामले को मिसाल बनाए बिना करुणा पूर्वक निर्णय लें। केस की दर्दनाक प्रकृति पर बेंच ने मंत्री से यह आग्रह किया है।
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