महाराष्ट्र में कांग्रेस के विधायकों ने दिया दगा, वफादारों ने की सख्त कार्रवाई की मांग...
Congress MLAs betrayed in Maharashtra, loyalists demanded strict action...

विधान परिषद चुनाव का विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, विधायक अभिजीत वंजारी ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि जो विधायक मतदाता थे, वे नागरिकों के बीच से चुने गए थे, इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। शहर अध्यक्ष और विधायक विकास ठाकरे ने भी यह रुख अपनाया कि पार्टी विरोधी विधायक को तुरंत पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।
नागपुर : लोकसभा में कांग्रेस की सफलता पर विधान परिषद चुनाव ने ग्रहण लगा दिया। पार्टी के विधायकों ने ही पार्टी के आदेश की अवहेलना की और गुप्त मतदान का फायदा उठाया। इसलिए सवाल यह उठने लगा है कि आगामी विधानसभा चुनाव का सामना पार्टी कैसे करेगी। इसलिए कांग्रेस में खौफ है। वफादारों ने पार्टी के साथ विश्वासघात करने और व्हिप का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसे लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी है।
पिछले ढाई साल में विधान परिषद के दो चुनावों में पार्टी के विधायक टूटे हैं। इससे पार्टी के अंदर बेचैनी बढ़ गई है। पार्टी व्हिप की अवहेलना करने वाले विधायकों का अनुभव नया नहीं है। पार्टी नेता भी चिंतित हैं। पार्टी के साथ बेईमानी करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा गया है। विधानसभा चुनाव से पहले कार्रवाई की उम्मीद है।
विधान परिषद चुनाव का विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, विधायक अभिजीत वंजारी ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि जो विधायक मतदाता थे, वे नागरिकों के बीच से चुने गए थे, इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। शहर अध्यक्ष और विधायक विकास ठाकरे ने भी यह रुख अपनाया कि पार्टी विरोधी विधायक को तुरंत पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।
हर चुनाव में कांग्रेस के वोट बंटने के बाद से नेताओं के बीच हलचल बढ़ती है। यह पार्टी के लिए आत्मनिरीक्षण करने का समय है। अन्य पार्टियों के वोट नहीं बंटे हैं, लेकिन कांग्रेस में बंट जाते हैं। चर्चा है कि विधायकों में कार्रवाई का कोई डर नहीं है। पिछली बार चंद्रकांत हंडोरे पहली पसंद के उम्मीदवार थे लेकिन हंगामा हो गया।
सबकी निगाहें इस पर हैं कि कांग्रेस के 7 वोट किसके फुटे हैं। अशोक चव्हाण के करीबी और पूर्व राज्य मंत्री डी. पी. सावंत का नाम लिया जा रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि वह एक महीने के भीतर पार्टी छोड़ने पर फैसला लेंगे। चर्चा है कि जितेश अंतापुरकर की भूमिका भी संदिग्ध है। इस बीच बांद्रा के विधायक जीशान सिद्दीकी ने पार्टी के खिलाफ खुला रुख अपना लिया है। वे पार्टी में सक्रिय नहीं हैं।
इसके अलावा उन्होंने विचार व्यक्त किया है कि वह भविष्य में कांग्रेस छोड़ने पर विचार कर सकते हैं। इस वजह से वे कांग्रेस के निशाने पर हैं। उनके पिता पूर्व राज्य मंत्री बाबा सिद्दीकी फिलहाल शिंदे गुट में हैं। इसके अलावा इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि इन बागी 7 विधायकों में विदर्भ का एक विधायक भी शामिल है।
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