मुंबई : पर्यावरणीय मंजूरी के बिना ग्रोवेल मॉल; तुरंत बंद करने का आदेश
Mumbai: Grovel Mall without environmental clearance; ordered to be shut down immediately
By Online Desk
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बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को मुंबई के कांदिवली स्थित ग्रोवेल मॉल को तुरंत बंद करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी के बिना इसे बनाया गया था। पर्यावरणीय मंजूरी के बिना ऐसी संरचनाओं का निर्माण करने से पर्यावरणीय समस्या और बढ़ जाएगी। न्यायमूर्ति महेश सोनक और न्यायमूर्ति मिलिंद साठ्ये की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि मॉल का स्वामित्व रखने वाली कंपनी ग्रोअर एंड वेइल (इंडिया) लिमिटेड ने स्वयं को कानून से ऊपर माना और पर्यावरण संबंधी मुद्दों की अनदेखी की। याचिकाकर्ता कंपनी ने कानून अपने हाथ में ले लिया और पर्यावरणीय मंजूरी के बिना मॉल का निर्माण शुरू कर दिया। इसलिए मॉल को बंद किया जाना चाहिए।
मुंबई : बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को मुंबई के कांदिवली स्थित ग्रोवेल मॉल को तुरंत बंद करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी के बिना इसे बनाया गया था। पर्यावरणीय मंजूरी के बिना ऐसी संरचनाओं का निर्माण करने से पर्यावरणीय समस्या और बढ़ जाएगी। न्यायमूर्ति महेश सोनक और न्यायमूर्ति मिलिंद साठ्ये की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि मॉल का स्वामित्व रखने वाली कंपनी ग्रोअर एंड वेइल (इंडिया) लिमिटेड ने स्वयं को कानून से ऊपर माना और पर्यावरण संबंधी मुद्दों की अनदेखी की। याचिकाकर्ता कंपनी ने कानून अपने हाथ में ले लिया और पर्यावरणीय मंजूरी के बिना मॉल का निर्माण शुरू कर दिया। इसलिए मॉल को बंद किया जाना चाहिए। वाणिज्यिक लाभ कमाने का अधिकार इस तरह नहीं दिया जा सकता। अदालत ने मॉल को बंद करने के एमपीसीबी के आदेश को बरकरार रखा। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पर्यावरणीय मंजूरी के बिना निर्मित मॉल का संचालन एक गंभीर मामला है और आवश्यक मंजूरी के बिना इसे जारी रखने की अनुमति देना पर्यावरणीय समस्या की गंभीरता को बढ़ाने के समान है।
कंपनी ने मॉल बंद करने के एमपीसीबी के 5 मार्च के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, पीठ ने कंपनी की याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि एमपीसीबी के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई सवाल ही नहीं है। कंपनी ने सुनवाई के दौरान दावा किया था कि मॉल को बंद करने का आदेश देने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया था और ऐसा आदेश जारी करने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं थी। कंपनी ने अदालत को यह भी बताया कि मॉल बनाने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी नहीं ली है, लेकिन उसने 2016 में छूट योजना के तहत मंजूरी के लिए आवेदन किया था। चूंकि वह आवेदन संबंधित प्राधिकरण के पास लंबित है, इसलिए मॉल को बंद करने का कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता। हालांकि अदालत ने कंपनी की दलील को खारिज कर दिया।
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