महाराष्ट्र : विधानसभा चुनाव में तटीय क्षेत्रों में क्यों टिकी राजनीतिक दलों की नजर... ?

Maharashtra: Why are political parties eyeing coastal areas in the assembly elections...?

महाराष्ट्र : विधानसभा चुनाव में तटीय क्षेत्रों में क्यों टिकी राजनीतिक दलों की नजर... ?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने  सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में 20 नवंबर मतदान की घोषणा की है और रिजल्ट 23 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद जारी होगा. इस चुनाव में मुंबई सहित कोस्‍टल क्षेत्र में महायुति गठबंधन और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच जबरदस्‍त मुकाबला देखने का मिलेगा.

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने  सभी 288 निर्वाचन क्षेत्रों में 20 नवंबर मतदान की घोषणा की है और रिजल्ट 23 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद जारी होगा. इस चुनाव में मुंबई सहित कोस्‍टल क्षेत्र में महायुति गठबंधन और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच जबरदस्‍त मुकाबला देखने का मिलेगा.

इस बार कोस्‍टल क्षेत्र में मुकाबला इसलिए रोचक होगा क्‍योंकि दो हिस्‍सों में बटी शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच होने वाला है. बता दें मुंबई महानगर क्षेत्र में अत्यधिक शहरीकृत और औद्योगिक क्षेत्र आता है, यहां कुल 75 विधानसभा सीटें हैं और 12 लोकसभा सीटें हैं. इस क्षेत्र की 75 विधानसभा सीटें राज्‍य की सरकार चुनने में अहम भूमिका निभाती हैं.

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बता दें हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी से मिलकर बने महायुति गठबंधन ने इस क्षेत्र में सात सीटें हासिल की थीं. बीजेपी ने पालघर, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग और मुंबई उत्तर में जीत दर्ज की, जबकि एनसीपी के सुनील तटकरे ने रायगढ़ में अपनी सीट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी.

लोकसभा चुनाव में मिली सात सीटों पर जीत के बाद आगामी विधानसभा चुनाव में महायुति गइबंधन का इस क्षेत्र से अधिक से अधिक सीट जीतने का लक्ष्‍य तय किया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के कोंकण क्षेत्र में बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है. वहीं अन्‍य मुख्य निर्वाचन क्षेत्रों में ठाणे शहर और मुंबई में वर्ली शामिल है, जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना यूबीटी नेता आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ रहे हैं.

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यह मुकाबला मुख्य रूप से शिवसेना के गुटों के बीच है, जिसमें आवास और बुनियादी ढांचे जैसे शहरी मुद्दे सबसे आगे है. गौरतलब है कि महाराष्‍ट्र कांग्रेस पार्टी का प्रभाव पिछले कुछ सालों से कम हुआ है, खासकर मुंबई में, जहां एमवीए के भीतर शिवसेना यूबीटी ने जमीन हासिल कर ली है. मुंबई महानगर क्षेत्र के 75 निर्वाचन क्षेत्रों में छह सीटों वाला आदिवासी बहुल पालघर, 18 सीटों वाला ठाणे, जिसमें ठाणे शहर की छह सीटें शामिल हैं और 36 सीटों वाला मुंबई शामिल है.

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रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले 15 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार है. वहीं विदर्भ 62 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के साथ राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार जैसे प्रमुख नेताओं का घर है. कांग्रेस पिछले एक दशक में बीजेपी द्वारा की गई प्रगति के खिलाफ खोई हुई जमीन हासिल करने का लक्ष्य रखती है. सिंचाई और किसान संकट जैसे मुद्दे यहां प्रमुख हैं.

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वहीं मराठवाड़ा में 46 विधानसभा क्षेत्र हैं और यहां कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है. प्याज क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला उत्तरी महाराष्ट्र में 47 सीटें हैं, जहां कृषि एक प्रमुख मुद्दा है. विभिन्न दलों के राजनीतिक दिग्गज इस क्षेत्र में हावी हैं. जबकि बारामती में शरद पवार और उनके अलग हुए भतीजे अजित पवार के बीच लड़ाई है.

2019 के चुनाव में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उस समय बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. उस वक्त शिवसेना 56 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी. कांग्रेस-राष्ट्रवादी गठबंधन ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उस वक्त एनसीपी 54 सीटों के साथ तीसरे और कांग्रेस 44 विधायकों के साथ चौथे नंबर पर थी. वहीं 2019 के मुंबई विधानसभा में शिवसेना ने अलायंस की 36 में  से 19 सीटें जीतीं. 2019 में कांग्रेस ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी को सिर्फ चार सीटों पर जीत मिली थी. एनसीपी ने एक सीट और समाजवादी पार्टी ने एक सीट जीती, बाकी 11 सीटें बीजेपी ने जीतीं थी.

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