स्पेशल कोर्ट ने नागपुर के फेक करेंसी मामले में फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को 5 साल की सजा और 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया
While giving the verdict in the fake currency case of Nagpur, the special court sentenced four accused to 5 years of imprisonment and a fine of Rs 3,000
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की मुंबई स्पेशल कोर्ट ने 2025 का पहला बड़ा फैसला सुनाते हुए नागपुर के चर्चित फेक करेंसी मामले में चार आरोपियों को 5 साल की सजा और 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. यह मामला 2020 में नागपुर में दर्ज हुआ था, जिसमें 13,67,500 रुपए के नकली नोट बरामद किए गए थे. यह मामला 16 जनवरी 2020 को नागपुर में सामने आया था.
मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी की मुंबई स्पेशल कोर्ट ने 2025 का पहला बड़ा फैसला सुनाते हुए नागपुर के चर्चित फेक करेंसी मामले में चार आरोपियों को 5 साल की सजा और 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. यह मामला 2020 में नागपुर में दर्ज हुआ था, जिसमें 13,67,500 रुपए के नकली नोट बरामद किए गए थे. यह मामला 16 जनवरी 2020 को नागपुर में सामने आया था. मामले की शुरुआती जांच डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने की थी. नकली नोटों और तस्करी के नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और बड़ी मात्रा में नकली नोट जब्त किए.
नकली नोटों की जब्ती और आरोपियों की पहचान
इस मामले में 13,67,500 रुपए के नकली नोट जब्त किए गए थे और चार आरोपियों लालू खान, महेश भगवान, रणधीर सिंह ठाकुर और रितेश रघुवंशी को गिरफ्तार किया गया था, मामले की गंभीरता को देखते हुए, 10 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यह मामला अपने हाथ में लिया. 7 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. 29 जून 2020 को फरार घोषित किए गए मुख्य आरोपी सोहराब हुसैन को पश्चिम बंगाल के मालदा से गिरफ्तार किया गया. 24 सितंबर 2020 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की.
सोहराब हुसैन और भारत-बांग्लादेश तस्करी रैकेट
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि सोहराब हुसैन नकली नोटों और प्रतिबंधित फेंसेडिल कफ सिरप की तस्करी में शामिल था. वह भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए इस रैकेट को चलाता था. हालांकि, गिरफ्तार होने के बाद उसकी मौत लखनऊ जेल में हो गई.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी कोर्ट का फैसला
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की स्पेशल कोर्ट ने चारों आरोपियों को 5 साल की कैद और 3 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया. चारों आरोपियों ने कोर्ट में अपना गुनाह कबूल कर लिया. कोर्ट ने सभी आरोपियों को एक ही तरह की सजा दी गई, जो राष्ट्रीय जांच एजेंसी और न्यायिक प्रक्रिया के सख्त रुख को दर्शाता है.
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