नई दिल्ली : चीन पर लगाए गए इन टैरिफ्स के बाद; भारत के लिए मौके, वहीं दूसरी ओर चुनौतियां
New Delhi: After these tariffs imposed on China; There are opportunities for India on one hand and challenges on the other hand

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए अंतरराष्ट्रीय टैरिफ (शुल्क) नियमों ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है। भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है। खासकर चीन पर लगाए गए इन टैरिफ्स के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब सस्ते और सब्सिडी वाले लिथियम-आयन बैटरी सेल्स भारत में भारी मात्रा में आ सकते हैं।
नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए अंतरराष्ट्रीय टैरिफ (शुल्क) नियमों ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है। भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है। खासकर चीन पर लगाए गए इन टैरिफ्स के बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब सस्ते और सब्सिडी वाले लिथियम-आयन बैटरी सेल्स भारत में भारी मात्रा में आ सकते हैं। ये बदलाव भारत के लिए एक ओर जहां मौके लेकर आ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर चुनौतियां भी खड़ी कर सकते हैं - खासकर 'मेक इन इंडिया' पहल के लिए।
चीन के मुकाबले भारत एक बेहतर विकल्प?
लिथियम-आयन रिसाइकिलिंग संगठन, LICO मटेरियल्स के संस्थापक और सीईओ गौरव डोलवानी के अनुसार, "मुझे लगता है कि भारत चीन प्लस वन रणनीति के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। मुझे लगता है कि भारत में बैटरी बनाने का खर्च चीन, जापान और कोरिया जैसे देशों की तुलना में काफी कम है।"
भारत में बैटरी उत्पादन की स्थिति
फिलहाल भारत अपनी जरूरत की 100 प्रतिशत लिथियम-आयन सेल्स आयात करता है। हाल के कुछ वर्षों में देश में लिथियम के भंडार तो जरूर मिले हैं, लेकिन बैटरी सेल मैन्युफैक्चरिंग अब भी अपने शुरुआती चरण पर है। हालांकि, अगले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आने वाला है। रिलायंस इंडस्ट्रीज गुजरात में एक गीगाफैक्ट्री बना रही है, जो 2030 तक 100 GWh उत्पादन क्षमता तक पहुंचना चाहती है। इसके अलावा, एक्साइड इंडस्ट्रीज भी 6 GWh की क्षमता वाली एक यूनिट बना रही है। और ओला इलेक्ट्रिक पहले ही अपने सिलिंड्रिकल सेल्स का उत्पादन शुरू कर चुकी है।
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