आरे बचाव समिति का आंदोलन, मेट्रो कारशेड बनाने के निर्णय का हो रहा विरोध जारी...
Aarey rescue committee's agitation, protest against the decision to build metro carshed continues...

मुंबई : आरे में शिंदे सरकार की ओर से मेट्रो कारशेड बनाने के निर्णय का हो रहा विरोध अब विकराल रूप पकड़ता जा रहा है। ‘आरे बचाओ’ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने सरकार को साफ चेताया है कि यदि सरकार ने उनकी नहीं सुनी और एक भी वृक्ष काटा तो वे सड़क पर उतरेंगे। समिति का साफ कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए आरे में पेड़ कटाई के खिलाफ उनका विरोध जारी रहेगा और सरकार चाहे कुछ भी कर ले, उनकी ये आवाज नहीं दबेगी।
बुधवार को आरे बचाओ समिति और वनशक्ति संस्था के लोगों ने पत्रकार परिषद लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाया और कहा कि सरकार आरे में ड्राइव चलाकर (सभी रास्तों को बंद कर) लगभग २ हजार पेड़ काटने की तैयारी में है। समिति ने आरोप लगाया कि सरकार ने ड्राइव का बहाना बनाया है, उनका मकसद वहां बचे हुए पेड़ों को काटना है।
इस बारे में जानकारी देते हुए संजीव सम्मुतुलकर ने बताया कि आरे में सरकार ने कोर्ट को २,७०० पेड़ काटने की जानकारी दी है। लेकिन अब तक सिर्फ २०० पेड़ ही काटे गए हैं। बचे हुए २,५०० पेड़ वे अब काटना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने ड्राइव का बहाना बनाया है। आरे में पेड़ों की छंटाई की आड़ में सरकार और मेट्रो कारशेड निर्माण के लिए कंपनियां बड़े पैमाने पर पेड़ काटेंगी।
मेट्रो कारशेड का काम २५ से ३० प्रतिशत पूरा होने का सरकार झूठा दावा कर रही है, जबकि वास्तव में अंदर कोई काम पूरा नहीं हुआ है। अब भी कई निर्णय बदले जा सकते हैं। अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन सरकार अपने घमंड में चूर है। इसलिए आरे के वन्यजीवों को नाश करने में जुटी है।
संजीव ने आरोप लगाया कि शिंदे सरकार आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को समर्थन दे रही है। सरकार प्रेशर निर्माण कर वन प्रेमियों पर दबाव बना रही है। हम पर फर्जी मामले दर्ज हो रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद हमारी आवाज दबेगी नहीं। संजीव ने बताया कि आरे में वृक्षों की कटाई को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। पर्यावरण प्रेमी जमा हो चुके हैं। मुंबई ही नहीं, देशभर से पर्यावरण प्रेमियों का आगमन हो रहा है।
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