भारत में भीषण गर्मी के कारण हर साल ८३,७०० लोगों की जाती है जान...
Every year 83,700 people die due to extreme heat in India.
भारत में जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल ८३,७०० लोगों की जान जाती है, वहीं अत्यधिक ठंड के कारण मरने वालों का आंकड़ा करीब ६.५५ लाख है। हाल ही में किए एक अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक गर्म या ठंडी परिस्थितियों के कारण दुनिया भर में हर साल ५० लाख से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। अनुमान है कि दुनिया में होने वाली करीब ९.४ फीसदी मौतों के लिए यही वजह जिम्मेवार है, जोकि प्रति लाख लोगों ७४ अतिरिक्त मौतों के बराबर है। इनमें से ८.५२ फीसदी मौतों के लिए अत्यंत सर्दी और करीब ०.९१ फीसदी के लिए भीषण गर्मी जिम्मेवार थी।
भारत में जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल ८३,७०० लोगों की जान जाती है, वहीं अत्यधिक ठंड के कारण मरने वालों का आंकड़ा करीब ६.५५ लाख है। हाल ही में किए एक अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक गर्म या ठंडी परिस्थितियों के कारण दुनिया भर में हर साल ५० लाख से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। अनुमान है कि दुनिया में होने वाली करीब ९.४ फीसदी मौतों के लिए यही वजह जिम्मेवार है, जोकि प्रति लाख लोगों ७४ अतिरिक्त मौतों के बराबर है। इनमें से ८.५२ फीसदी मौतों के लिए अत्यंत सर्दी और करीब ०.९१ फीसदी के लिए भीषण गर्मी जिम्मेवार थी। इसी तरह भारत में जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल ८३,७०० लोगों की जान जाती है, वहीं अत्यधिक ठंड के कारण मरने वालों का आंकड़ा करीब ६.५५ लाख है।
हालांकि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, उससे गर्मीं के कारण होने वाली मौतों में भी वृद्धि हो रही है, जो स्पष्ट तौर पर यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में स्थिति और खराब हो सकती है। दुनिया भर के दर्जन भर से ज्यादा वैज्ञानिकों ने २००० से २०१९ के बीच ४३ देशों में ७५० स्थानों पर मृत्यु दर और मौसम संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया है। जिससे पता चला है कि इन स्थानों पर औसत दैनिक तापमान में प्रति दशक ०.२६ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, एशिया में चरम तापमान के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा सबसे ज्यादा था। जहां भीषण गर्मी के कारण हर साल २.२४ लाख जानें गई थी, वहीं अत्यधिक ठंड के कारण २४ लाख लोगों की जान गई थी। इसी तरह यूरोप में जहां भीषण गर्मी के कारण १७८,७०० लोगों की जान गई थी। हैरानी की बात है कि आज जिस तरह जलवायु में बदलाव आ रह है उसकी वजह से मच्छर उन स्थानों पर भी पनपने लगे हैं, जहां वो पहले नहीं पाए जाते थेद लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चला है कि यदि वैश्विक उत्सर्जन इसी तरह बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक करीब ८४० करोड़ लोगों पर डेंगू और मलेरिया का खतरा मंडराने लगेगा। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि सदी के अंत तक यदि तापमान में हो रही वृद्धि ३.७ डिग्री सेल्सियस पर पहुंच जाएगी तो करीब और ४७० करोड़ लोग मलेरिया और डेंगू की जद में होंगे।
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