मुंबई : कोर्ट के रेकॉर्ड और पुलिस स्टेशन से FIR गायब ; कोर्ट ने पुलिस को मामले की जांच का अंतिम मौका दिया
Mumbai: FIR missing from court records and police station; court gives police last chance to investigate the case
2006 में एक कारोबारी पर मारपीट की FIR दर्ज हुई। मामला कोर्ट पहुंचा। कारोबारी को विदेश आना जाना होता था इसलिए जब कभी पासपोर्ट रिन्यूअल की जरूरत पड़ती थी तो कानूनी दिक्कतें होती थीं। FIR को रद्द करवाने के लिए कारोबारी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तब पता चला कि इस केस की एफआईआर ही पुलिस स्टेशन से गायब है।
मुंबई : 2006 में एक कारोबारी पर मारपीट की FIR दर्ज हुई। मामला कोर्ट पहुंचा। कारोबारी को विदेश आना जाना होता था इसलिए जब कभी पासपोर्ट रिन्यूअल की जरूरत पड़ती थी तो कानूनी दिक्कतें होती थीं। FIR को रद्द करवाने के लिए कारोबारी ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तब पता चला कि इस केस की एफआईआर ही पुलिस स्टेशन से गायब है। इतना ही नहीं, अदालत के रेकॉर्ड से चार्जशीट भी लापता मिली। इस पर हाई कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला हमारी न्यायिक चेतना को झकझोरने वाला मामला है। कोर्ट ने पुलिस को केस की जांच का आखिरी मौका दिया है। अगली सुनवाई 11 फरवरी को है।
इससे पहले कोर्ट को याचिकाकर्ता के वकील और अतिरिक्त सरकारी वकील ने बताया कि राज्य के डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर की निगरानी में गुम हुई FIR को खोजा जा रहा है। कोर्ट में भी चार्जशीट की तलाश जारी है।
ओशिवारा पुलिस में दर्ज हुआ था केस
मामला ओशिवारा पुलिस स्टेशन से जुड़ा है। यहां कारोबारी के खिलाफ 2006 में केस दर्ज हुआ था। 65वें अंधेरी के जुडिशियल मैजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई थी। पासपोर्ट रिन्यूअल के समय कारोबारी के रिकार्ड में केस को पेंडिंग दिखाया जाता था। इस परेशानी से बचने के लिए उसने FIR रद्द करने की मांग को लेकर ऐडवोकेट आशीष दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसकी सुनवाई जस्टिस रविंद्र घूघे और जस्टिस राजेश पाटिल कर रहे हैं।
अंधेरी कोर्ट में नहीं मिले केस के दस्तावेज
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को झूठे केस में फंसाया गया है। FIR,चार्जशीट और अन्य दस्तावेज का पता लगाने के लिए 2019 से जांच चल रही है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है। अंधेरी कोर्ट में FIR के संबंध में कोई केस रजिस्टर्ड नहीं है। इसलिए मुवक्किल को अनावश्यक केस से राहत दी जाए।
अतिरिक्त सरकारी वकील जे.पी याज्ञनिक ने केस की जांच के बारे में अपडेट देने के अलावा ओशिवारा पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दिए गए दस्तावेज को भी बेंच को सौंपा। इसे बेंच ने रिकार्ड में लेकर पुलिस को पूरे मामले की जांच करने का आखिरी मौका दिया।
Comment List