मनपा को दवा खरीदी में देरी करने से 100 करोड़ का लगा चूना...
Manpa was fined 100 crores for delaying the purchase of medicines.
मनपा की तिजोरी पर इसका असर तो पड़ा ही है गरीब मरीजों को दवाईयों से भी वंचित होना पड़ा है।ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन के अध्यक्ष अभय पांडे ने आरोप लगाया कि मनपा सेंट्रल परचेजिंग विभाग द्वारा निविदा के जरिए दवाओं की खरीद नहीं किए जाने के कारण अस्पतालों को अपने स्तर पर दवाओं की खरीद करनी पड़ी जिससे दवाइया महंगे दाम में खरीदनी पड़ी।
मुंबई : मनपा प्रशासन द्वारा मरीजों को उपलब्ध कराई जाने वाली दवा की खरीदी में देरी करने पर 100 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। मनपा प्रशासन द्वारा दवा खरीदने में हर समय देरी करती है। पिछले तीन साल के आंकड़ों को हो देखे तो मनपा की तिजोरी से दवा खरीदी में 100 करोड़ अतिरिक्त खर्च हुआ है।बावजूद इसके मनपा अधिकारियो की आंख नही खुल रही है।अभी भी दवा खरीदी को लेकर मनपा अधिकारी समय पर निविदा प्रक्रिया पूरा नहीं कर रहे है।
मनपा के सभी प्रमुख अस्पतालो और उपनगरीय अस्पताल सहित दवाखानों में मरीजों को दी जाने वाली दवा शेडयुल्ड 12 के तहत खरीदी जाती है। शेडयूल्ड 12 के तहत दवा खरीदे जाने से दवाइया सस्ते दर में मिलती है। ऑल फूड ड्रग लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन ने आरोप लगाया कि मनपा अधिकारियो की लापरवाही से मुंबई की टैक्स देने वाली जनता के पैसों की फिजूल खर्ची हुई है।
मनपा की तिजोरी पर इसका असर तो पड़ा ही है गरीब मरीजों को दवाईयों से भी वंचित होना पड़ा है।ऑल फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन के अध्यक्ष अभय पांडे ने आरोप लगाया कि मनपा सेंट्रल परचेजिंग विभाग द्वारा निविदा के जरिए दवाओं की खरीद नहीं किए जाने के कारण अस्पतालों को अपने स्तर पर दवाओं की खरीद करनी पड़ी जिससे दवाइया महंगे दाम में खरीदनी पड़ी।
पांडे ने कहा कि मनपा 12 शेड्यूल के तहत 1300 से 1400 दवाओं की खरीद करती है जिसमें टेबलेट से लेकर सर्जिकल उपकरण तक शामिल होते हैं. वर्तमान में 700 से 800 दवाएं और उपकरणों जिसकी मनपा अस्पतालों का सख्त आवश्यकता है नहीं खरीदे जा रहे हैं. मनपा के 20 अस्पताल और 150 बालासाहेब ठाकरे दवाखाना में स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद की जा रही है. मनपा का प्रत्येक शेड्यूल तय होने के बाद टेंडर जारी किया जाता है.
मनपा सेंट्रल एजेंसी खरीद विभाग के माध्यम से इस शेड्यूल पर दवाओं का स्टॉक समाप्त होने से पहले उस शेड्यूल की नई दवाओं को खरीदने की प्रक्रिया की जानी चाहिए. लेकिन इस विभाग के अधिकारी जानबूझकर इस दवा की खरीद में देरी करते हैं. जिसका परिणाम यह होता है कि अस्पतालों में इन दवाओं की आपूर्ति समाप्त हो जाती है. जिसका खामियाजा अस्पताल जाने वाले गरीब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. अस्पताल में दवा नहीं होने से मरीजों को बाहर से दवा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मनपा की तिजोरी पर भी इसका भार पड़ रहा है। पिछले तीन साल में 100 करोड़ का चूना लग चुका है।
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