डीजीपी का आदेश रद्द... मुंबई पुलिस एक्ट तहत दर्ज मामले नहीं हो सकते तड़ीपार का आधार - हाईकोर्ट
DGP's order cancelled... Cases registered under Mumbai Police Act cannot be the basis of Tadipar - High Court
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कांदिवली (पूर्व) समता नगर निवासी इम्तियाज हुसैन सैयद के खिलाफ तड़ीपारी के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। अदालत ने पाया कि जिन 7 आपराधिक मामले में याचिकाकर्ता को तड़ीपार किया था, उसमें हाल में दर्ज दो मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है।
मुंबई : कांदिवली (पूर्व) समता नगर निवासी इम्तियाज हुसैन सैयद के खिलाफ तड़ीपारी के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। अदालत ने पाया कि जिन 7 आपराधिक मामले में याचिकाकर्ता को तड़ीपार किया था, उसमें हाल में दर्ज दो मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है।
पुलिस मामले की अभी जांच कर रही है। यह मामले तड़ीपारी के आधार नहीं हो सकते हैं। न्यायमूर्ति एन.जे.जमादार की एकलपीठ के समक्ष इम्तियाज हुसैन सैयद की ओर से वकील गणेश गुप्ता की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ समता नगर पुलिस स्टेशन में कई मामले दर्ज हैं।
पुलिस 9 जुलाई 2022 को याचिकाकर्ता को महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम 1951 की धारा 59 के तहत नोटिस जारी किया गया कि उन्हें मुंबई से दो साल के लिए तड़ीपार क्यों नहीं किया जाना चाहिए? पिछले साल 24 जनवरी पुलिस ने याचिकाकर्ता को मुंबई समेत ठाणे, वसई, पालघर, रायगढ़ जिले के पनवेल और कर्जत से दो साल के लिए तड़ीपार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अपनी तड़ीपारी के खिलाफ कोंकण डिवीजन के डिविजनल कमिश्नर के पास अपील किया, तो उन्होंने सजा की अवधि को दो साल से घटाकर 18 महीने करने की अनुमति दी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में तड़ीपार के आदेश को चुनौती दिया।
याचिकाकर्ता के वकील गणेश गुप्ता ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ समता नगर पुलिस स्टेश में दर्ज जिन दो मामलों के आधार पर उन्हें तड़ीपार किया गया है, उन मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है। पुलिस की जांच में आरोपी निर्दोष भी साबित हो सकता है। इसके अलावा मुंबई पुलिस एक्ट के अंतर्गत दर्ज मामले तड़ीपारी का आधार नहीं हो सकते हैं।
यदि याचिकाकर्ता की गतिविधियों के कारण समाज को खतरा है, तो पुलिस द्वारा उसके खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं की थी? पीठ ने याचिकाकर्ता की वकील की दलील को स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ डीसीपी के तड़ीपारी के आदेश को रद्द कर दिया
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