मराठवाडा की बीड लोकसभा सीट पंकजा मुंडे के लिए प्रतिष्ठा का रण...
Battle of prestige for Pankaja Munde from Beed Lok Sabha seat of Marathwada...

मुंडे की राजनीतिक विरासत को लेकर बेटी पंकजा और भतीजे धनंजय के बीच मतभेद थे। यहां धनंजय अपना वर्चस्व चाहते थे, इसलिए वह एनसीपी के साथ चले गए। तबसे इस सीट पर पंकजा और धनंजय के बीच शह-मात का खेल चल रहा था। अब राज्य के राजनीतिक समीकरण अलग हैं और धनंजय जिस एनसीपी के साथ हैं, वह महायुति में शामिल है।
बीड: मराठवाडा की बीड लोकसभा सीट पर 13 मई को चुनाव है। यह बीजेपी की उम्मीदवार पंकजा मुंडे के लिए प्रतिष्ठा की सीट है। इस सीट से राज्य के बीजेपी के दिग्गज नेता रहे और पंकजा के पिता गोपीनाथ मुंडे और उनकी बहन प्रीतम मुंडे को जीत मिली है। लेकिन, इस बार बीजेपी ने प्रीतम का टिकट काटकर पंकजा को उम्मीदवार बनाया है।
यहां मराठा आरक्षण आंदोलन का बड़ा असर दिख रहा है। इसीलिए, पंकजा को एनसीपी (शरद गुट) से उम्मीदवार बजरंग सोनावणे कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पिछले चुनाव में बजरंग कांग्रेस से उम्मीदवार थे और उन्होंने प्रीतम को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि, मूल एनसीपी राज्य में महायुति के साथ है। शरद पवार ने पिछले रिकॉर्ड देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है। मराठा आरक्षण की आंच में बुरी तरह झुलसे इस इलाके में मराठाओं का वर्चस्व है, जो पंकजा की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है।
गोपीनाथ मुंडे का बीड जिले में दबदबा रहा है। 1996 में पहली बार इस सीट से बीजेपी की उम्मीदवार रजनी पाटील को जीत मिली थी। इसके बाद 1998 और 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दोनों बार जयसिंग पाटील को टिकट दिया और वह चुनकर आए। लेकिन, 2004 में बीजेपी से टिकट कटने पर जगसिंग एनसीपी से चुनाव लड़े और उन्हें सफलता मिली। इसके बाद इस सीट पर कब्ज़ा करने के लिए बीजेपी ने बीड के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे को टिकट दिया और वह पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे।
यह सीट फिर से बीजेपी के कब्ज़े में आ गई। 2014 में भी गोपीनाथ मुंडे को जीत मिली। लेकिन, एक सड़क हादसे में उनकी मृत्यु हो गई, तब उप चुनाव में उनकी बेटी प्रीतम भी जीतीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह जीत गईं। इस बार मराठा आरक्षण आंदोलन ने इस सीट को बहुत प्रभावित किया है। इसे देखते हुए बीजेपी ने प्रीतम की बजाय उनकी बहन पंकजा को टिकट दिया है। लेकिन, यहां पर राजनीतिक समीकरण बदलने के बावजूद पंकजा के सामने चुनौती है। पंकजा वंजारी समाज से आती हैं, इसलिए चुनाव में उन्हें इस समाज से फायदा मिल सकता है। वहीं, बजरंग प्रचार में खुद को किसान पुत्र बता रहे हैं।
मुंडे की राजनीतिक विरासत को लेकर बेटी पंकजा और भतीजे धनंजय के बीच मतभेद थे। यहां धनंजय अपना वर्चस्व चाहते थे, इसलिए वह एनसीपी के साथ चले गए। तबसे इस सीट पर पंकजा और धनंजय के बीच शह-मात का खेल चल रहा था। अब राज्य के राजनीतिक समीकरण अलग हैं और धनंजय जिस एनसीपी के साथ हैं, वह महायुति में शामिल है।
इसीलिए, पंकजा और धनंजय भी साथ हैं। भाई-बहन के साथ आने के बावजूद मराठा आरक्षण आंदोलन ने समीकरण बिगाड़ दिया है। बीड में रहने वाले नवनाथ के मुताबिक, पंकजा और धनंजय के साथ होने के बावजूद इस सीट पर कड़ी लड़ाई है। फिलहाल, एनसीपी (शरद गुट) के जिस उम्मीदवार के खिलाफ धनंजय चुनाव प्रचार कर रहे हैं, पिछली बार उन्हीं को जिताने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। तब एनसीपी के उम्मीदवार को 5 लाख से अधिक वोट मिले थे।
अंबाजोगाई के अनिल शिंदे कहते हैं कि बीड में कांटे की टक्कर है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जनसभा हुई है। यहां पर जिस तरह से मोदी ने अपने भाषण के अंत में कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर अपना प्रणाम कहने को कहा है, उससे संभव है कि पंकजा को चुनाव में लाभ मिले।
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