घर खरीदारों की सुरक्षा के लिए वेबसाइटों को महारेरा पोर्टल से जोड़ने का निर्देश
Instructions to link websites to MahaRERA portal for the safety of home buyers
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शहरी नियोजन प्राधिकरणों को पारदर्शिता और घर खरीदारों की सुरक्षा के लिए वेबसाइटों को महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (महारेरा)पोर्टल से जोड़ने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने महारेरा को 19 जून 2023 से प्रमोटरों द्वारा प्रस्तुत सभी प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने का भी निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष डोंबिवली के आर्किटेक्ट संदीप पांडुरंग पाटिल की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई।
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने शहरी नियोजन प्राधिकरणों को पारदर्शिता और घर खरीदारों की सुरक्षा के लिए वेबसाइटों को महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (महारेरा)पोर्टल से जोड़ने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने महारेरा को 19 जून 2023 से प्रमोटरों द्वारा प्रस्तुत सभी प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने का भी निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष डोंबिवली के आर्किटेक्ट संदीप पांडुरंग पाटिल की जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई हुई।
जनहित याचिका में सरकार, महारेरा और स्थानीय नियोजन प्राधिकरणों के बीच जवाबदेही स्थापित करने के लिए निर्देश देने की अनुरोध किया गया था। पीठ ने कहा कि रेरा अधिनियम के तहत रियल एस्टेट परियोजनाओं के पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किए गए प्रारंभ और व्यवसाय प्रमाणपत्र (सीसी और ओसी) की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया स्थापित करने के लिए ऐसा एकीकरण अनिवार्य है।
पीठ ने यह भी कहा कि जब तक पूर्ण एकीकरण हासिल नहीं हो जाता, तब तक सभी नागरिक निकायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जारी होने के 48 घंटों के भीतर सीसी और ओसीएस उनकी वेबसाइटों पर अपलोड किए जाए, जिससे अंतरिम पारदर्शिता बनी रहे और सार्वजनिक पहुंच प्रदान की जा सके।
पीठ ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए राज्य सरकार को कहा कि वह तीन महीने के भीतर बिल्डिंग प्लान मैनेजमेंट सिस्टम (बीपीएमएस) को महारेरा की ऑनलाइन प्रणाली के साथ एकीकृत करने का काम पूरा करे, जिससे रियल एस्टेट प्राधिकरण प्रमाणपत्रों का क्रॉस-सत्यापन कर सके और धोखाधड़ी वाले सबमिशन के जोखिम को कम कर सके।
याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया कि अवैध इमारतों के पंजीकरण को रोकने, परियोजना पंजीकरण के लिए जमा किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने और घर खरीदारों को धोखाधड़ी वाली अचल संपत्ति प्रथाओं से बचाने के लिए पूर्ण एकीकरण की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता के वकील पी.आई.भुजबल ने कल्याण और अंबरनाथ तहसील के 27 गांवों में बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण पर भी चिंता जताई और दावा किया कि यह डेवलपर्स द्वारा नागरिक अधिकारियों को प्रस्तुत किए गए जाली दस्तावेजों के कारण हुआ था
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