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महाराष्ट्र सदन मामले में कालाधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले की सुनवाई... विशेष न्यायालय ने मांग खारिज कर दिया

महाराष्ट्र सदन मामले में कालाधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामले की सुनवाई...  विशेष न्यायालय ने मांग खारिज कर दिया कालाधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय सीधे मामला दर्ज नहीं कर सकता। हालांकि, पहले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय में अलग से मामला दर्ज किया जा सकता है। वर्ष 2015 में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने महाराष्ट्र सदन मामले में मामला दर्ज किया था। हालांकि, डेवलपर चमनकर भाइयों को इस अपराध से बरी कर दिया गया था। इसलिए, चमनकर भाइयों ने कालाधन निवारण अधिनियम के तहत गठित विशेष न्यायालय में दोषमुक्ति के लिए आवेदन किया था। हालांकि, इस अर्जी को विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है और कहा है कि इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी।
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जॉनसन एंड जॉनसन के आवेदन खारिज...

जॉनसन एंड जॉनसन के आवेदन खारिज... जॉनसन एंड जॉनसन तपेदिक के रोगियों के लिए बेडाक्विलिन बनाती है। दवा के लिए पेटेंट प्राप्त करने के लिए कंपनी के आवेदन को 2020 में तपेदिक से बचे और कार्यकर्ता और एक नागरिक समाज समूह गणेश आचार्य द्वारा चुनौती दी गई थी। इस चुनौती में कंपनी जिस दवा बेडाक्विलिन का पेटेंट मांग रही है, वह नई नहीं है। साथ ही, इसमें प्रयुक्त विभिन्न सामग्रियों का उपयोग अन्य कंपनियों द्वारा वयस्क तपेदिक रोगियों के लिए बनाई जाने वाली दवाओं में किया जाता है।
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SC का चुनावी बॉन्ड पर बड़ा आदेश, SBI की याचिका खारिज... 12 मार्च तक आंकड़ा देने को कहा

SC का चुनावी बॉन्ड पर बड़ा आदेश,  SBI की याचिका खारिज...  12 मार्च तक आंकड़ा देने को कहा सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था। योजना को तुरंत बंद करने का आदेश देते हुए, कोर्ट ने योजना के तहत अधिकृत बैंक एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था।
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15 साल की रेप पीड़िता ने मांगी 30 सप्ताह के भ्रूण गर्भपात की इजाजत... बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया खारिज

15 साल की रेप पीड़िता ने मांगी 30 सप्ताह के भ्रूण गर्भपात की इजाजत...  बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया खारिज पीड़िता की जान को भी खतरा रहेगा। इसके मद्देनजर गर्भपात की अनुमति देना सही नहीं है। मानसिक पीड़ा से जूझ रही नाबालिग बेटी की मां ने हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसमें ठाणे के अस्पताल में गर्भपात की मंजूरी देने की गुहार लगाई गई थी। जस्टिस पी.डी. नाइक और जस्टिस एन.आर. बोरकर की बेंच के सामने सुनवाई हुई। बेंच ने गत 13 फरवरी को मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया।
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