CM फडणवीस ने अवैध दरगाह को मई 2025 तक ध्वस्त करने का दिया आदेश...
CM Fadnavis ordered to demolish the illegal dargah by May 2025...
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मुंबई पुलिस की यह चिंता बेबुनियाद नहीं है. 26/11 का आतंकी हमला इस बात का गवाह भी है. उस हमले में अजमल कसाब और उसके साथियों ने कोलाबा के समुद्री तट का इस्तेमाल किया था. ऐसे में यह दरगाह एक संभावित “सेफ लैंडिंग स्पॉट” के रूप में देखी जा रही है. हालांकि, इस खतरे को साबित करने के लिए ठोस सबूतों का अभाव एक सवाल उठाता है. क्या यह केवल एक आशंका है या इसके पीछे कोई खुफिया जानकारी है? पिछले 14 सालों यानी 2011 से अब तक इस दरगाह से जुड़ी कोई आतंकी गतिविधि सामने नहीं आई. ऐसे में तो क्या इसे महज सावधानी के तौर पर हटाया जा रहा है?
मुंबई : साल 2008 में जब मुंबई में आतंकी हमला हुआ तब पाकिस्तान से आए इन दरिंदों का लैंडिंग स्पॉट कोलाबा बना था. मायानगरी में समंदर के रास्ते एंट्री लेने वाले अजमल आमिर कसाब और उनके साथी आतंकियों ने इसके बाद शहर में जमकर खूनी खेल खेला. भविष्य में फिर ऐसी घटना ना हो, इसे लेकर देवेंद्र फडणवीस सरकार बेहद अलर्ट है.
यही वजह है कि सीएम फडणवीस ने एक और लैंडिंग स्पॉट के रूप में कथित तौर पर उभरकर सामने आ रहे मीरा भयंदर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन क्षेत्र में स्थित एक अवैध दरगाह पर एक्शन का मन बना लिया है. ऐसा शक जताया जा रहा है कि यह दरगाह आतंकियों का सेफ लैंडिंग स्पॉट बन सकती है. इसकी लोकेशन समंदर के एक दम करीब है. बताया जा रहा है कि यहां पिछले चार-पांच सालों में तैजी से ‘अवैध गतिविधियां’ बढ़ी हैं.
यह मामला न केवल सुरक्षा और पर्यावरणीय उल्लंघन से जुड़ा है, बल्कि कम्यूनल सेंसिटिविटी और प्रशासनिक सख्ती के बीच एक जटिल संतुलन को भी उजागर करता है. महाराष्ट्र सरकार की मंशा इस दरगाह को मई 2025 तक पूरी तरह ध्वस्त करने की है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इसे लेकर आदेश भी पारित कर दिया है. साल 2011 में मीरा भयंदर के कलेक्टर को लिखे गुप्त पत्र में पुलिस ने इस दरगाह को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया था. समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण यह आशंका जताई गई कि आतंकवादी इस रास्ते से मुंबई में घुस सकते हैं और दरगाह को छुपने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
मुंबई पुलिस की यह चिंता बेबुनियाद नहीं है. 26/11 का आतंकी हमला इस बात का गवाह भी है. उस हमले में अजमल कसाब और उसके साथियों ने कोलाबा के समुद्री तट का इस्तेमाल किया था. ऐसे में यह दरगाह एक संभावित “सेफ लैंडिंग स्पॉट” के रूप में देखी जा रही है. हालांकि, इस खतरे को साबित करने के लिए ठोस सबूतों का अभाव एक सवाल उठाता है. क्या यह केवल एक आशंका है या इसके पीछे कोई खुफिया जानकारी है? पिछले 14 सालों यानी 2011 से अब तक इस दरगाह से जुड़ी कोई आतंकी गतिविधि सामने नहीं आई. ऐसे में तो क्या इसे महज सावधानी के तौर पर हटाया जा रहा है?
उधर, सरकारी की नजर दरगाह के आसपास बढ़ते अतिक्रमण पर भी है. यहां लगातार मैंग्रोव्स के पेड़ों की कटाई कर अवैध मकान बनाए जा रहे हैं. जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है. दरगाह के आसपास 70,000 स्क्वायर फीट क्षेत्र में अतिक्रमण और मैंग्रोव्स को काटकर पत्थर व बालू से जमीन भरने की बात सामने आई है. यह सीआरजेड नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है. मैंग्रोव्स कोस्टल इकोसिस्टम का अहम हिस्सा हैं, जो समुद्री कटाव को रोकते हैं और जैव-विविधता को संरक्षित करते हैं. मैंग्रोव्स की कटाई और निर्माण पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी के बावजूद, पिछले कुछ सालों में यह अतिक्रमण बढ़ा है. बताया गया कि खासकर कोविड काल के बाद यहां अवैध गतिविधियां तेज हुई हैं.
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