महाराष्ट्र/ सोशल मीडिया पर सेक्स का जाल...!
Maharashtra / Sex trap on social media...!

कोरोना काल में बच्चों को स्टडी के लिए अभिभावकों द्वारा दिए गए स्मार्ट फोन (मोबाइल), टैब, लैपटॉप आदि अब माता-पिता के लिए जंजाल साबित हो रहे हैं। क्योंकि उक्त मोबाइल, टैब से बच्चों की सक्रियता सोशल मीडिया में बढ़ी और अब इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए अजनबियों द्वारा बिछाया गया सेक्स का जाल अभिभावकों की चिंता बढ़ानेवाली बात है।
महाराष्ट्र : कोरोना काल में बच्चों को स्टडी के लिए अभिभावकों द्वारा दिए गए स्मार्ट फोन (मोबाइल), टैब, लैपटॉप आदि अब माता-पिता के लिए जंजाल साबित हो रहे हैं। क्योंकि उक्त मोबाइल, टैब से बच्चों की सक्रियता सोशल मीडिया में बढ़ी और अब इसके साइड इफेक्ट देखने को मिल रहे हैं। सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए अजनबियों द्वारा बिछाया गया सेक्स का जाल अभिभावकों की चिंता बढ़ानेवाली बात है। ‘क्राय’ (चाइल्ड राइट्स एंड यू) और पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक नए अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है।
इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाले ४२४ पैरेंट्स में से करीब ३३ प्रतिशत ने बताया कि ऑनलाइन मंच पर उनके बच्चों से अजनबियों ने दोस्ती करने, निजी व पारिवारिक जानकारी मांगने और यौन संबंधी परामर्श देने के लिए संपर्क किया। पैरेंट्स के अनुसार ऑनलाइन दुर्व्यवहार का शिकार बने बच्चों में से १४-१८ आयु वर्ग की ४० प्रतिशत लड़कियां थीं, जबकि इसी आयु वर्ग के ३३ प्रतिशत लड़के थे।
इस अध्ययन में चार राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के ४२४ पैरेंट्स के अलावा इन चार राज्यों के ३८४ शिक्षकों ने भाग लिया। इसके अलावा तीन राज्यों- पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के १०७ अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया।
अध्ययन में शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के माता-पिता ने उनके बच्चों के ऑनलाइन बाल यौन शोषण व दुर्व्यवहार (ओसीएसईए) का अनुभव करने की बात अधिक साझा की। पैरेंट्स ने बताया कि बच्चों के साथ अनुचित यौन सामग्री भी साझा की गई और ऑनलाइन उनसे यौन संबंधी बातचीत भी की गई।
यह पूछे जाने पर कि यदि उनके बच्चों को ओसीएसईए का सामना करना पड़ा तो वे क्या करना चाहेंगे केवल ३० प्रतिशत पैरेंट्स ने कहा कि वे थाने जाकर शिकायत दर्ज कराएंगे, जबकि ‘चिंताजनक रूप से ७० प्रतिशत ने इस विकल्प को खारिज कर दिया।’अध्ययन के अनुसार, केवल १६ प्रतिशत अभिभावक ही ओसीएसईए से संबंधित कोई कानून होने से वाकिफ थे।
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