सामरिक साझेदारी के जरिए अफ्रीका-एशिया में इंडिया की बढ़ेगी धाक, भारत-मिस्र दोस्ती बनेगी मिसाल...
Through strategic partnership, India's power will increase in Africa-Asia, India-Egypt friendship will become an example...
74वें गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ से पूरी दुनिया ने भारत के शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन देखा. इसके साथ ही एक बार फिर से भारत की अद्भुत संस्कृति के इंद्रधनुषी रंगों से भी दुनिया का परिचय हुआ. इन सबके बीच कर्तव्य पथ से भारत और मिस्र की दोस्ती की नई इबारत भी लिखी गई.
दिल्ली : 74वें गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ से पूरी दुनिया ने भारत के शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन देखा. इसके साथ ही एक बार फिर से भारत की अद्भुत संस्कृति के इंद्रधनुषी रंगों से भी दुनिया का परिचय हुआ. इन सबके बीच कर्तव्य पथ से भारत और मिस्र की दोस्ती की नई इबारत भी लिखी गई.
कर्तव्य पथ पर हुए गणतंत्र दिवस समारोह में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी मुख्य अतिथि थे. पहली भारत अरब देश मिस्र के कोई राष्ट्रपति भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. इसके साथ ही अब्दुल फतेह अल-सीसी दुनिया के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं, जिन्हें ये गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का मौका मिला है. ये अपने आप में दोनों देशों के बीच दोस्ती की नई मिसाल है.
मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी ने भी कर्तव्य पथ पर 74वें गणतंत्र दिवस परेड की शोभा बढ़ाई. इसकी अगुवाई कमांडर कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देलफत्ताह एल्खारासावी ने किया. ऐसा पहली बार हुआ है, जब मिस्र की सेना के किसी दल ने भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के परेड में हिस्सा लिया हो. इस टुकड़ी में 144 सैनिक शामिल थे.
मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी की ये भारत यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही. मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी तीन दिन के भारत दौरे पर 24 जनवरी को दिल्ली पहुंचे थे. इस यात्रा के दौरान भारत और मिस्र ने द्विपक्षीय संबंधों को सामरिक साझेदारी (Strategic Partnership) में बदलने का फैसला किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी के बीच 25 जनवरी को दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई. इसमें द्विपक्षीय भागीदारी को सामरिक साझेदारी के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया गया. भारत-मिस्र के बीच सामरिक गठजोड़ के तहत सहयोग के चार स्तंभों या आयामों की पहचान की गई है. ये स्तंभ हैं:
1. राजनीतिक सहयोग
2. सुरक्षा सहयोग
3. आर्थिक गठजोड़
4. वैज्ञानिक गठजोड़
दोनों देश व्यापक सहयोग के लिए लॉन्ग टर्म ढांचा विकसित करेंगे. इन पहलुओं पर फोकस करते हुए भारत और मिस्र के बीच दोस्ती की नई इबारत लिखी जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति अल-सीसी ने समयबद्ध तरीके से रक्षा, सुरक्षा, कारोबार और आतंकवाद से निपटने में सहयोग को बढ़ाने का निर्णय किया है. अल-सिसी की इस यात्रा के दौरान भारत और मिस्र के बीच संस्कृति, सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, युवा मामलों और प्रसारण क्षेत्र से जुड़े पांच समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से प्रभावित हुए खाद्य और दवा आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे.
भारत और मिस्र के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है. भारत के रक्षा निर्यात के लिहाज से मिस्र की अहमियत बढ़ जाती है. मिस्र ने भारत से हल्के लड़ाकू विमान तेजस, रडार, सैन्य हेलीकॉप्टर समेत दूसरे सैन्य साजो सामान खरीदने में ख़ास रुचि दिखाई है. तेजस की खरीद पर मिस्र, भारत के साथ बातचीत शुरू भी कर चुका है. मिस्र, भारत से आकाश मिसाइल और स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड सिस्टम भी खरीदना चाहता है.
मिस्र ने द्विपक्षीय वार्ता में भारतीय सैन्य साजो सामान को खरीदने को लेकर उत्सुकता जाहिर की. दोनों देश चाहते भी हैं कि उभरते क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में आपसी रक्षा जुड़ाव और ज्यादा मजबूत हो. बीते कुछ सालों में भारत और मिस्र के बीच रक्षा संबंध तेजी से बढ़े हैं.
इसी कड़ी में जुलाई 2022 में इंडियन एयरफोर्स ने तीन सुखोई SU-30MKI लड़ाकू विमान और दो बोइंग C-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमानों के साथ सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. दोनों देश रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मजबूत करेंगे. पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के कार्यों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
Comment List