समुद्र के पानी को मीठा करने की परियोजना एक साल लेट...साल 2026 से मिलेगा 200 एमएलडी समुद्र का पानी
Sea water desalination project delayed by a year... 200 MLD sea water will be available from 2026

समुद्र के पानी को मीठा करने की परियोजना में एक साल का विलंब हुआ है, जिसके चलते मुंबईकरों को मनोरी प्रॉजेक्ट के तहत मीठे पानी के लिए अब वर्ष 2026 तक इंतजार करना पड़ेगा। पहले इस प्रॉजेक्ट के लिए वर्ष 2022 में ही ग्लोबल टेंडर जारी किया जाना था, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के कारण यह प्रॉजेक्ट प्रभावित हो गया। बीएमसी प्रशासन ने साल 2025 तक इस प्रॉजेक्ट से मीठा पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया है।
मुंबई: समुद्र के पानी को मीठा करने की परियोजना में एक साल का विलंब हुआ है, जिसके चलते मुंबईकरों को मनोरी प्रॉजेक्ट के तहत मीठे पानी के लिए अब वर्ष 2026 तक इंतजार करना पड़ेगा। पहले इस प्रॉजेक्ट के लिए वर्ष 2022 में ही ग्लोबल टेंडर जारी किया जाना था, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के कारण यह प्रॉजेक्ट प्रभावित हो गया। बीएमसी प्रशासन ने साल 2025 तक इस प्रॉजेक्ट से मीठा पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया है।
बता दें कि बीजेपी के विरोध के बावजूद बीएमसी ने मालाड के मनोरी में समुद्र के पानी को मीठा करने की परियोजना को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इस प्रॉजेक्ट के लिए नियुक्त कंसल्टेंट ने सर्वे का काम पूरा कर लिया है, जल्द ही इसका डीपीआर तैयार हो जाएगा। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि अगले महीने तक मनोरी प्रॉजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करने की योजना है।
बीएमसी ने वर्ष 2025 में समुद्र का मीठा पानी मुंबईकरों को पिलाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसमें एक साल की देरी होगी। अब मुंबईकरों को वर्ष 2026 में मनोरी प्रॉजेक्ट से पानी मिल सकेगा। यह प्रॉजेक्ट 3 साल में पूरा होगा। बीएमसी ने मई 2022 में टेंडर जारी करने की योजना बनाई थी, लेकिन कोरोना संकट और सर्वे का काम पूरा न होने की वजह से टेंडर नहीं जारी हो सका।
इस प्रॉजेक्ट को लेकर मंगलवार को बीएमसी मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। मनोरी से प्रतिदिन 200 एमएलडी पानी मिलने की उम्मीद है। उसके बाद इस प्रॉजेक्ट से प्रतिदिन 400 एमएलडी पानी मिल सकेगा। यह पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ड्रीम प्रॉजेक्ट है। हालांकि उस समय बीजेपी ने यह कहते हुए इस प्रॉजेक्ट का विरोध किया था कि यह काफी महंगी योजना है।
अधिकारी ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट पर 3520 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। ग्लोबल टेंडर निकालने से बीएमसी के पास कई विकल्प मौजूद होंगे। इससे क्वॉलिटी पर भी फोकस किया जा सकेगा। इस प्रॉजेक्ट के पूरा होने पर पहले चरण में प्रतिदिन 200 एमएलडी पानी मिलेगा, जबकि प्रॉजेक्ट के दूसरे चरण में 400 एमएलडी पानी आपूर्ति करने की योजना है। इस प्रॉजेक्ट के तहत बीएमसी समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने पर 1600 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जबकि अगले 20 वर्षों तक इसकी देखभाल और मरम्मत पर 1920 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बीएमसी प्रशासन मनोरी प्रॉजेक्ट के लिए एमटीडीसी से 12 हेक्टेयर जमीन लेगा।
मुंबई को पानी आपूर्ति करने वाली झीलों का पानी शुद्ध कर पीने योग्य बनाने पर प्रत्येक हजार लीटर पर 17 रुपये खर्च होता है। मनोरी में प्रति हजार लीटर पर 18 रुपये का खर्च होने का अनुमान है। प्रॉजेक्ट की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी इजरायल की एक कंपनी को दी गई है। सलाहकार प्रॉजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर), प्रॉजेक्ट की डिजाइन और प्रॉजेक्ट तैयार होते समय उसकी देखरेख का काम करेगा।
खास बात यह है कि इस प्रॉजेक्ट की वजह से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। मुंबई में प्रतिदिन 3850 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है, उनमें से कुछ पानी लीकेज की वजह से बर्बाद हो जाता है और कुछ पानी चोरी हो जाता है। मुंबई की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए पानी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। बीएमसी का मानना है कि समुद्र से पानी मीठा करने की योजना शुरू होती है तो यह मुंबई के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगा।
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