बीएमसी का लापरवाही बढ़ा सकती है मुंबईकरों की मुश्किलें...इस साल भी मॉनसून में डूबेगी मुंबई!
Negligence of BMC can increase the problems of Mumbaikars... Mumbai will drown in monsoon this year too!
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बीएमसी प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद हर साल बारिश में मुंबईकरों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। बारिश के दौरान जगह-जगह जल-जमाव, सड़कों एवं रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाता हैं। इसके बावजूद बीएमसी सबक नहीं लेती है। इस साल मुंबई में नाला-सफाई के लिए जारी 31 टेंडर बीएमसी अब तक फाइनल नहीं कर पाई है। ऐसे में, छोटे-बड़े नालों एवं नदियों की सफाई का काम समय पर पूरा होना मुश्किल है। मंगलवार को विधानसभा में मुंबई के नाला-सफाई का मुद्दा भी गूंजा।
मुंबई: बीएमसी प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद हर साल बारिश में मुंबईकरों को परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। बारिश के दौरान जगह-जगह जल-जमाव, सड़कों एवं रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाता हैं। इसके बावजूद बीएमसी सबक नहीं लेती है। इस साल मुंबई में नाला-सफाई के लिए जारी 31 टेंडर बीएमसी अब तक फाइनल नहीं कर पाई है। ऐसे में, छोटे-बड़े नालों एवं नदियों की सफाई का काम समय पर पूरा होना मुश्किल है। मंगलवार को विधानसभा में मुंबई के नाला-सफाई का मुद्दा भी गूंजा।
मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार एवं पराग अलवणी ने नाला-सफाई में देरी का मुद्दा उठाया। लिखित जवाब में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि नाला-सफाई का काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इस बाबत बीएमसी में पूर्व नेता विपक्ष कांग्रेस के रवि राजा ने कहा कि अब तक नाला सफाई का काम शुरू हो जाना चाहिए था। लेकिन कमिश्नर आई.एस. चहल नाला-सफाई का टेंडर भी सरकार से पूछ कर निकाल रहे हैं। अब तक टेंडर नहीं फाइनल हुआ, क्योंकि टेंडर फाइनल होने के बाद करीब एक सप्ताह से पंद्रह दिन वर्क ऑर्डर जारी करने में लगता है। ऐसे में, 15 से 20 मार्च से पहले नाला-सफाई का काम शुरू होने की उम्मीद नहीं है।
इस साल पहली बारिश में ही मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, इसके लिए पूरी तरह से कमिश्नर जिम्मेदार होंगे। मुंबई में नाला सफाई का काम मार्च के पहले सप्ताह में शुरू हो जाता है। लेकिन इस साल अभी तक टेंडर ही नहीं फाइनल हुआ है। मुंबई में छोटे-बड़े नालों एवं नदियों की सफाई के लिए बीएमसी ने 31 टेंडर जारी किया है। मीठी नदी से कीचड़ हटाने के लिए 3 टेंडर जारी किए गए हैं। बीएमसी नालों की सफाई पर इस साल 180 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जो पिछले साल के 150 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये ज्यादा है। बीएमसी तीन चरणों में नालों की सफाई का काम करती है।
बारिश के पहले 31 मई तक करीब 75 प्रतिशत नाला सफाई का लक्ष्य रखती थी, जबकि इस साल 80 प्रतिशत नाला-सफाई का दावा किया जा रहा है। दूसरे चरण में मॉनसून के दौरान 1 जून से 30 सितंबर तक 10 प्रतिशत नालों की सफाई होगी। मॉनसून के बाद तीसरे चरण में 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच बाकी 10 प्रतिशत नालों की सफाई की जाएगी। नालों की सफाई होने से बारिश का पानी तेजी से समंदर में चला जाता है, जिससे जल-जमाव की स्थिति नहीं होती।
मुंबई में 309 बड़े नाले हैं, जिनकी लंबाई 290 किलोमीटर है। छोटे नालों की संख्या 1508 है, जिसकी लंबाई 605 किमी है। बीएमसी के अनुसार बीएमसी मुख्यालय के इर्द गिर्द लगभग 32 किलोमीटर लंबे बड़े नाले हैं। पूर्वी उप नगर में करीब 100 किलोमीटर लंबे बड़े नाले हैं। पश्चिमी उपनगर में तकरीबन 140 किलोमीटर लंबे बड़े नाले हैं। वहीं, सड़क के नीचे 3134 किलोमीटर लंबी ड्रेनेज लाइन है। समस्या से बचने के लिए बीएमसी हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च कर नालों की सफाई करती है, लेकिन समय से नालों की सफाई न होने से भारी बारिश के समय जगह-जगह बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। पिछले साल मॉनसून से पहले बीएमसी कमिश्नर चहल ने 114 प्रतिशत नालों की सफाई का दावा किया था, लेकिन मुंबई के ऊंचाई वाले इलाकों में भी जल-जमाव हुआ था।
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