सुप्रीम कोर्ट ने बिहार जातिगत सर्वेक्षण की सुनवाई के दौरान यह क्यों कहा...?
Why did the Supreme Court say this during the hearing of Bihar caste survey?
बिहार सरकार ने अक्टूबर में 2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले अपने विवादास्पद जाति-आधारित सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक कर दिया था. जनगणना से पता चला कि अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) में राज्य की 63 प्रतिशत आबादी शामिल है. बिहार जाति आधारित गणना के रूप में भी जाना जाता है, जनगणना से पता चला है कि अनुसूचित जातियों का 13 करोड़ की आबादी का 19 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत बनाती है.
बिहार : बिहार में जातिगत सर्वे पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 29 जनवरी के बाद होगी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि सर्वे का डेटा प्रकाशित हो चुका है. उस आधार पर आरक्षण 50 से बढ़ाकर करीब 70 प्रतिशत तक कर दिया गया है. इसको लेकर पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. वकील ने अंतरिम राहत के लिए जल्द सुनवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जल्द सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि हम 29 जनवरी से शुरू होने हफ्ते में मामले को सुनवाई पर लगाएंगे.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि सर्वे के डेटा का वर्गीकरण करके ये डेटा आम जनता को उपलब्ध कराया जाना चाहिए. सर्वे के बजाए हमारी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा है. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि बिहार सरकार ने जातिगत सर्वे किया है. इसे जनगणना नहीं कहा जा सकता (इससे पहले केन्द्र सरकार ने कोर्ट में दाखिल जवाब में कह चुकी है कि जनगणना जैसी प्रकिया को अंजाम देने का अधिकार सिर्फ केन्द्र को ही है).
बिहार के नालंदा के निवासी अखिलेश कुमार द्वारा दायर याचिका में यह तर्क दिया गया था कि राज्य सरकार द्वारा जाति की जनगणना करने के लिए जारी अधिसूचना संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. संविधान के प्रावधानों के अनुसार, केवल केंद्र सरकार को जनगणना करने का अधिकार है.
बिहार सरकार ने अक्टूबर में 2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले अपने विवादास्पद जाति-आधारित सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक कर दिया था. जनगणना से पता चला कि अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) में राज्य की 63 प्रतिशत आबादी शामिल है. बिहार जाति आधारित गणना के रूप में भी जाना जाता है, जनगणना से पता चला है कि अनुसूचित जातियों का 13 करोड़ की आबादी का 19 प्रतिशत से अधिक है, जबकि अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत बनाती है.
ऊपरी जातियां, या ‘सावरनस’, राज्य की आबादी का 15.52 प्रतिशत है. सर्वेक्षण में भाजपा से कानूनी बाधाओं और विरोध का सामना करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि रिपोर्ट सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए राज्य सरकार की पहल में सहायता करेगी.
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