15 साल की रेप पीड़िता ने मांगी 30 सप्ताह के भ्रूण गर्भपात की इजाजत... बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया खारिज
15 year old rape victim asked for permission to abort fetus at 30 weeks... Bombay High Court rejected

पीड़िता की जान को भी खतरा रहेगा। इसके मद्देनजर गर्भपात की अनुमति देना सही नहीं है। मानसिक पीड़ा से जूझ रही नाबालिग बेटी की मां ने हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसमें ठाणे के अस्पताल में गर्भपात की मंजूरी देने की गुहार लगाई गई थी। जस्टिस पी.डी. नाइक और जस्टिस एन.आर. बोरकर की बेंच के सामने सुनवाई हुई। बेंच ने गत 13 फरवरी को मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया।
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने 15 साल की नाबालिग रेप पीड़िता को 30 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति नहीं दी। हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की गर्भावस्था एडवांस स्टेज में है। बच्चे के जीवित पैदा होने की प्रबल संभावना है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया था कि समय से पहले डिलीवरी होने से बच्चे की सेहत पर असर पड़ सकता है।
पीड़िता की जान को भी खतरा रहेगा। इसके मद्देनजर गर्भपात की अनुमति देना सही नहीं है। मानसिक पीड़ा से जूझ रही नाबालिग बेटी की मां ने हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसमें ठाणे के अस्पताल में गर्भपात की मंजूरी देने की गुहार लगाई गई थी। जस्टिस पी.डी. नाइक और जस्टिस एन.आर. बोरकर की बेंच के सामने सुनवाई हुई। बेंच ने गत 13 फरवरी को मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया।
बोर्ड को जल्दी रिपोर्ट देने को कहा गया। बोर्ड ने कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा कि बच्चे के जिंदा पैदा होने की संभावना ज्यादा है। समय से पहले डिलीवरी हुई तो बच्चे को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ेगी। शिशु को मानसिक असमान्यता भी हो सकती है और वह दीर्घकालिक विकलांगता का शिकार हो सकता है।
गर्भपात से पीड़िता की जान को भी खतरा अधिक है। रिपोर्ट में कुल मिलाकर डॉक्टरों ने इस केस में गर्भपात को जोखिम भरा बताया। डॉक्टरों ने पीड़िता और उसके घरवालों को भी संभावित खतरे की जानकारी दी थी। इसके बावजूद उन्होंने गर्भपात की इच्छा व्यक्त की। पीड़िता ने जब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब उसने नियमानुसार गर्भपात की कानूनी तय सीमा (23 सप्ताह) को पार कर लिया था।
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