फडणवीस का पालघर साधु हत्याकांड को लेकर बड़ा बयान, जल्द ही षड्यंत्र रचने वालों का होगा पर्दाफाश...
Fadnavis' big statement regarding Palghar Sadhu massacre, conspirators will soon be exposed...
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पालघर मॉब लिंचिंग मामला 16 अप्रैल, 2020 को महाराष्ट्र के पालघर जिले के गडचिंचले गांव में हुई थी. कुछ लोगों ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर पर हमला किया और उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. यह घटना कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान इलाके में चोरों के सक्रिय होने की व्हाट्सएप अफवाहों से फैली थी. कुछ लोगों ने इन तीन यात्रियों को चोर समझ लिया और पत्थरों, कुल्हाड़ियों और लाठियों से उनकी हत्या कर दी. बीच-बचाव करने वाले पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया गया, जिसके परिणामस्वरूप चार पुलिसकर्मी और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे.
पालघर : पालघर साधु हत्याकांड को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, जल्द ही षड्यंत्र रचने वालों का पर्दाफाश होगा. एक सभा के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं के साथ जो बर्बरता हुई इस प्रकार की घटना मैंने पहले कभी नहीं देखी. हम ये सोचते हैं कि मनुष्यो में इतनी बर्बरता आ कैसे सकती है.
वैसे तो इसमें जांच की गई, गिरफ्तारियां भी हुई लेकिन हमारी सत्ता आने के बाद हमने इस मामले में हुए षड्यंत्र के पीछे की जांच करने के लिए केस सीबीआई (CBI) को सौंप दिया है. पालघर मॉब लिंचिंग मामला 16 अप्रैल, 2020 को महाराष्ट्र के पालघर जिले के गडचिंचले गांव में हुई थी. कुछ लोगों ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर पर हमला किया और उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
यह घटना कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान इलाके में चोरों के सक्रिय होने की व्हाट्सएप अफवाहों से फैली थी. कुछ लोगों ने इन तीन यात्रियों को चोर समझ लिया और पत्थरों, कुल्हाड़ियों और लाठियों से उनकी हत्या कर दी. बीच-बचाव करने वाले पुलिसकर्मियों पर भी हमला किया गया, जिसके परिणामस्वरूप चार पुलिसकर्मी और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे.
यहां बता दें, भारत में व्हाट्सएप पर अफवाहों के कारण हमले और लिंचिंग की घटनाएं देखी गई हैं, जिनमें अक्सर बच्चों का अपहरण या घूमने वाले डाकू शामिल होते हैं. पालघर में अफवाह फैल गई कि रात में इलाके में अंग निकालने वाले गिरोह और अपहरणकर्ताओं की सक्रियता हो सकती है.
इन अफवाहों के आधार पर ग्रामीणों ने एक निगरानी समूह का गठन किया. पीड़ितों में जूना अखाड़े के साधु चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरि (70 वर्ष) और सुशीलगिरि महाराज (35 वर्ष) और उनका 30 वर्षीय ड्राइवर नीलेश तेलगड़े शामिल थे. वे सूरत में अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा कर रहे थे. इस दौरान पीड़ितों को गलती से बच्चा चोर और अंग काटने वाले समझ लिया गया.
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