मुंबई वालों की लोकल के बाद दूसरी लाइफ लाइन बेस्ट की बसें... बढ़ रहा यात्रियों का इंतजार
BEST buses are the second lifeline of Mumbai people after local...waiting of passengers is increasing.

बेस्ट में फ़िलहाल 50 से ज्यादा डबल डेकर एसी बसें चल रहीं हैं, लेकिन मुंबईकरों को ढंग की बस सर्विस देने के लिए बेस्ट को क़रीब 7 हज़ार बसों की ज़रूरत है। अब केवल 2,965 बसें बची हैं। पिछले महीने बीएमसी द्वारा बजट पेश किया, जिसमें बेस्ट को ₹928.65 करोड़ की मदद राशि दी गई।
मुंबई : बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई ऐंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) बसों को मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन कहते हैं, क्योंकि रोज़ाना क़रीब 32 लाख यात्री इससे ट्रैवल करते हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से इन यात्रियों का इंतज़ार बढ़ रहा है, क्योंकि बेस्ट की बसों की संख्या में लगातार कम हो रही है। पूर्व में बेस्ट के महाप्रबंधकों द्वारा किए गए वादों के अनुसार मार्च, 2024 तक बेस्ट के बेड़े में क़रीब 5 हज़ार बसें होनी थीं। इसके विपरीत बसों की संख्या में कम हो रही हैं और इनकी संख्या 3 हज़ार से नीचे चली गई है।
बेस्ट में फ़िलहाल 50 से ज्यादा डबल डेकर एसी बसें चल रहीं हैं, लेकिन मुंबईकरों को ढंग की बस सर्विस देने के लिए बेस्ट को क़रीब 7 हज़ार बसों की ज़रूरत है। अब केवल 2,965 बसें बची हैं। पिछले महीने बीएमसी द्वारा बजट पेश किया, जिसमें बेस्ट को ₹928.65 करोड़ की मदद राशि दी गई।
समीकरण कुछ ऐसा है, जिसमें बेस्ट की मालिकाना हक़ की 3,337 बसें होनी चाहिए। बेस्ट ने अब तक 1,725 बसें पुरानी होने के कारण सर्विस से हटाई हैं। ऐसे में बीएमसी द्वारा मिली राशि का स्थिति बदलने में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। पिछले साल भी बेस्ट को ₹800 करोड़ की अनुदान राशि मिली थी।
बेस्ट के पास फिलहाल केवल 519 इलेक्ट्रिक बसें हैं। जो कुल बसों का केवल 17% प्रतिशत है। मुंबई में लगातार प्रदूषण बढ़ने की ख़बरें आ रहीं हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ानी होगी। अभी 1300 लोगों के लिए एक बस उपलब्ध है। बेस्ट का लक्ष्य है कि प्रति 500 व्यक्ति एक बस उपलब्ध हो, इसके लिए क़रीब 7 हज़ार बसों की ज़रूरत होगी।
भविष्य में डीजल और सीएनजी की बसें फेज आउट होंगी। मुंबई में फिलहाल क़रीब 50 एसी डबल डेकर बसों सर्विस में शामिल होना शुरू हो गई है। बेस्ट के पास 48 डबल डेकर एसी बसें आ चुकी हैं। इन बसों की सप्लाई करने वाली स्विच कंपनी से जल्द ही बसों की डिलिवरी तेज़ करने की मांग की जाएगी।
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