प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई के मारोल में अलजामिया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी के नए परिसर का किया उद्घाटन
PM Narendra Modi inaugurates new campus of Aljamia-tus-Saifiyah Arabic Academy at Marol, Mumbai

नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय के एक शैक्षणिक संस्थान के एक नए परिसर का उद्घाटन किया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीएम मोदी ने मुंबई के मारोल में अलजामिया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी के नए परिसर का उद्घाटन किया।
मुंबई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय के एक शैक्षणिक संस्थान के एक नए परिसर का उद्घाटन किया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीएम मोदी ने मुंबई के मारोल में अलजामिया-तुस-सैफियाह अरबी अकादमी के नए परिसर का उद्घाटन किया। मालूम हो कि दाउदी बोहरा समुदाय के प्राथमिक शैक्षणिक संस्थान अलजामिया-तुस-सैफियाह या सैफी अकादमी का नया परिसर मुंबई के एक उपनगर मारोल में है।
चार पीढ़ियों से इस परिवार के साथ- पीएम
मुंबई में अलजामिया-तुस-सैफियाह के नए परिसर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं यहां न तो पीएम के तौर पर हूं और न ही सीएम के तौर पर। मेरे पास जो सौभाग्य है, वह शायद बहुत कम लोगों को मिला है। मैं इस परिवार से चार पीढ़ियों से जुड़ा हुआ हूं। सभी चार पीढ़ियां मेरे घर आ चुकी हैं।"
विकास की कसौटी पर दाऊदी बोहरा समुदाय ने खुद को किया साबित
उन्होंने आगे कहा कि कोई समुदाय, समाज, संगठन उसकी पहचान इससे है कि वह समय के अनुसार अपनी प्रासंगिकता को कितना कायम रखता है। समय के साथ परिवर्तन और विकास की इस कसौटी पर दाऊदी बोहरा समुदाय ने हमेशा खुद को खरा साबित किया है। अल जामिया-तुस-सैफियाह शिक्षा के महत्वपूर्ण स्थान इसका जीता जागता उदाहरण है।
देश की शिक्षा व्यवस्था में हुआ है बदलाव
पीएम मोदी ने कहा कि देश आजादी के अमृत काल की यात्रा शुरू कर रहा है,तो शिक्षा के क्षेत्र में बोहरा समाज के इस योगदान की अहमियत बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि जब आप मुंबई, सूरत जाएं तो दांडी जरूर जाइएगा।दांडी यात्रा गांधी जी की आजादी की लड़ाई में एक मोड़ था। नमक सत्याग्रह से पहले गांधी जी दांडी में आपके घर रुके थे।
उन्होंने कहा, "देश में शिक्षा व्यवस्था में एक और बदलाव हुआ है। ये बदलाव है- एजुकेशन सिस्टम में स्थानीय भाषा को महत्व देना। अंग्रेजों ने अंग्रेजी को शिक्षा का पैमाना बना दिया था। आजादी के बाद भी हम उस हीनभावना को ढोते रहे। लेकिन अब मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई भी स्थानीय भाषा में हो सकेगी।"
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