क्लब फुट का होता है राजावाडी सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज... 19 महीने में 84 बच्चों के पैर हुए ठीक

Club foot is treated free of cost at Rajawadi Government Hospital... 84 children's feet were cured in 19 months

क्लब फुट का होता है राजावाडी सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज... 19 महीने में 84 बच्चों के पैर हुए ठीक

राजावाडी अस्पताल की अधीक्षक डॉ. भारती राजूवाला ने बताया कि अस्पताल में क्लब फुट के लिए विशेष ओपीडी चलाई जाती है। गरीब अभिभावकों पर आर्थिक बोझ नहीं आए, इसलिए हमारे यहां सभी बच्चों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। कंसल्टेंट पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. चिंतन दोशी बच्चों का उपचार करते हैं।

मुंबई : जो बच्चे जन्मजात मुड़े पैर (क्लब फुट) वाले होते हैं, उन्हें ठीक करने के लिए उनके माता-पिता एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं, फिर भी उन्हें निराशा हाथ लगती है। लेकिन घाटकोपर में बीएमसी के राजावाडी अस्पताल के डॉक्टर बेहतरीन इलाज के माध्यम से ऐसे बच्चों को ठीक करने में सफल हो रहे हैं। इस अस्पताल से क्लब फुट वाले बच्चे ठीक होकर निकल रहे हैं।

पिछले 19 महीने में अस्पताल के डॉक्टर ने क्लब फुट से जूझ रहे 84 मासूम बच्चों के पैरों को पूरी तरह से ठीक किया है। क्लब फुट में पैरों की कई असामान्यताएं शामिल हैं, जो आमतौर पर जन्म के समय पाईं जाती हैं। इसमें बच्चे के एक या दोनों पैर का आकार अंदर की ओर मुड़ा हुआ होता है।

Read More महाराष्ट्र : बारिश के कारण मराठवाड़ा क्षेत्र में 10 लोगों व 523 पशुओं की भी मौत, 11.67 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद 

क्लब फुट में, मांसपेशियों को हड्डी (टेंडन) से जोड़ने वाले ऊतक सामान्य से छोटे होते हैं। जागरूकता की कमी के कारण कई बार अभिभावकों को पता ही नहीं चलता और फिर बच्चे जब थोड़े बड़े हो जाते हैं, तो फिर उन्हें चलने में दिक्कत होती है। इस विकृति से जूझ रहे बच्चों को इलाज मिले, इसी के मद्देनजर सितंबर 2022 में राजावाडी अस्पताल में क्लब फुट ओपीडी की शुरुआत की गई।

राजावाडी अस्पताल की अधीक्षक डॉ. भारती राजूवाला ने बताया कि अस्पताल में क्लब फुट के लिए विशेष ओपीडी चलाई जाती है। गरीब अभिभावकों पर आर्थिक बोझ नहीं आए, इसलिए हमारे यहां सभी बच्चों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। कंसल्टेंट पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. चिंतन दोशी बच्चों का उपचार करते हैं।

डॉ. चिंतन दोषी ने बताया कि पिछले 18 महीनों में ओपीडी में 1,000 अभिभावक अपने बच्चों को लेकर आए हैं। इनमें से 150 बच्चे ऐसे थे, जिन्हें क्लब फुट की समस्या थी, लेकिन फिजियोथेरेपी की मदद से ही उनका पांव ठीक हो गया। इसके लिए बच्चे की मां को ही प्रशिक्षण दिया गया। जब बच्चे छोटे रहते हैं और विकृति उतनी गंभीर नहीं होती, तब केवल फिजियो से भी पांव को ठीक किया जा सकता है।

डॉ. दोषी ने बताया कि 88 बच्चे ऐसे थे, जिनकी एड़ी फिजियो से ठीक नहीं हो सकती थी। इन बच्चों का हर सप्ताह प्लास्टर किया जाता है। 4 से 5 सप्ताह प्लास्टर करने के बाद टीनाटामी प्रक्रिया की जाती है। इसमें बच्चे के एड़ी पिछले हिस्से की सख्त मसल को लूज किया जाता है, ताकि पैर अपने सामान्य पोजीशन पर आ सके।

Read More नालासोपारा की नई सड़क पर भीषण हादसा; दो चचेरे भाइयों की मौके पर ही मौत 

इसके बाद 3 महीने तक फिर से बच्चे के प्रभावित पैर में प्लास्टर किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद अभिभावकों को विशेष प्रकार के जूते (ब्रेस) दिए जाते हैं। यह जूते 6 महीने लगातार 22 घंटे तक पहनने होते हैं। 6 महीने के बाद जब तक बच्चा 4 साल का पूरा नहीं होता, तब तक उसे सोते वक्त जूते पहनने के लिए कहा जाता है।

डर और इलाज के बारे में अज्ञानता होने से बच्चे के इलाज में बाधा आती है। कुछ परिवारों में ऐसा माना जाता है कि श्राप, ग्रहण, माता-पिता द्वारा कुत्ते पर पैर रखने जैसे अंधविश्वासों के कारण बच्चे का जन्म विकलांग बच्चे के रूप में हुआ है। यह भी अंधविश्वास है कि अपने पैर से नींबू को पार करने के कारण बच्चे ऐसे पैरों के साथ पैदा होते हैं। इन सब अंधविश्वासों के कारण समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता है। लेकिन यह ओपीडी इस गलतफहमी को दूर करने और यह समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है कि बच्चे के पैर क्यों मुड़े हुए हैं और इसके ठीक करने के उपाय क्या हैं।

क्लब फुट तब होता है जब जन्म के समय बच्चे के पैर मुड़े हुए होते हैं। यह कई बार एक ही पोजिशन में पैर होने के कारण भी होता है। यह गर्भावस्था में सोनोग्राफी में भी नहीं दिखता है। हालांकि, क्लब फुट की पहचान बच्चे के जन्म होते ही की जा सकती है। डॉ. दोषी ने बताया कि हमारे अस्पताल में यदि कोई बच्चा उक्त विकृति के साथ जन्म लेता है, तो डॉक्टर हमें तुरंत बुलाते हैं।

डॉ. दोषी ने बताया कि क्लब फुट की पहचान और इलाज जितनी जल्दी हो उतना अच्छा परिणाम मिलता है। एक बार बच्चा बड़ा हो जाता है, तो फिर सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। सर्जरी तक बात नहीं पहुंचे, इसलिए अभिभावकों को जरा भी संदेह है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

Read More गढ़चिरौली जिले में बच्चों के शव कंधे पर लेकर 15 किलोमीटर चले माता-पिता... नहीं मिली एंबुलेंस

Post Comment

Comment List

Advertisement

Sabri Human Welfare Foundation

Join Us on Social Media

Latest News

पालघर में सुरक्षा गार्ड ने आवारा कुत्ते की पीट-पीटकर की हत्या... मामला दर्ज पालघर में सुरक्षा गार्ड ने आवारा कुत्ते की पीट-पीटकर की हत्या... मामला दर्ज
कुत्ते लोगों पर हमला कर रहे हैं। इसी बीच जिले में एक हाउसिंग सोसाइटी के सुरक्षा गार्ड ने कथित तौर...
ठाणे जिले में बर्थडे पार्टी में पिलाया नशीला पदार्थ... फिर लड़की से किया रेप, सहेली समेत 3 अरेस्ट
महाराष्ट्र के मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम का बयान, मेरे बेटी-दामाद ने विश्वासघात किया, उन्हें नदी में फेंक दो....
पालघर जिले में तिहरा हत्याकांड में एक संदिग्ध उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार
मुंबई : मलाड के मालवणी इलाके तृतीयपंथी का भेष धारण कर लूटपाट करने वाले गिरफ्तार
भिवंडी में 14 वर्षीय छात्रा के साथ छेड़छाड़... मामला दर्ज
नायगांव की सड़कों पर चलना खतरों से खाली नहीं... रोड पर पर गड्डे ही गड्डे

Advertisement

Sabri Human Welfare Foundation

Join Us on Social Media