नागपुर/ कोर्ट में वरिष्ठ वकील को आया हार्ट अटैक... जज खुद ले गए अस्पताल
Nagpur/ Senior lawyer got a heart attack in the court... the judge himself took him to the hospital

न्याय मंदिर परिसर में कोर्ट में जिरह कर रहे वरिष्ठ वकील तलत इकबाल कुरैशी (64) को अचानक हार्ट अटैक आ गया। स्थिति समझते ही खुद जज उन्हें अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इस घटना से जिला न्यायालय परिसर में शोक का माहौल है।
जानकारी के अनुसार, सुबह 11.30 बजे के दौरान कुरैशी जिला न्यायालय पहुंचे। उन्हें 7वें माले पर स्थित सीनियर डिवीजन सिविल जज एस. बी. पवार की अदालत में जिरह करना था।
नागपुर : न्याय मंदिर परिसर में कोर्ट में जिरह कर रहे वरिष्ठ वकील तलत इकबाल कुरैशी (64) को अचानक हार्ट अटैक आ गया। स्थिति समझते ही खुद जज उन्हें अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इस घटना से जिला न्यायालय परिसर में शोक का माहौल है।
जानकारी के अनुसार, सुबह 11.30 बजे के दौरान कुरैशी जिला न्यायालय पहुंचे। उन्हें 7वें माले पर स्थित सीनियर डिवीजन सिविल जज एस. बी. पवार की अदालत में जिरह करना था।
अपनी प्राथमिक जिरह करने के बाद कुरैशी ने कोर्ट को साइटेशन जारी करने की जानकारी दी और बेंच पर बैठ गया। विपक्ष के वकील धनराजानी अपना पक्ष रख रहे थे तभी कुरैशी बेंच से नीचे गिर गए। उन्हें बेहोश होकर गिरते देख न्या. पवार तुरंत अपनी सीट से नीचे उतरे। कर्मचारियों से उन्हें पानी देने को कहा। बिना समय गवाएं न्या. पवार ने उन्हें अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं होने के कारण कुरैशी को कुर्सी पर बैठाकर नीचे लाया गया।
न्या. पवार ने डीबीए के अध्यक्ष रोशन बागड़े और पूर्व अध्यक्ष अधि. कमल सतुजा को जानकारी दी। खुद कुरैशी को अपने वाहन में पास के अस्पताल ले गए लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सतुजा ने बताया कि कोरोना के कारण कुरैशी की पत्नी की मृत्यु हो गई थी, तब से वे अकेले ही रहते थे। दोनों बेटियों का विवाह हो चुका है। इस घटना से पूरे न्यायालय के सभी वकीलों में शोक है।
उन्होंने कहा कि जिला न्यायालय परिसर में रोज 8,000 वकील काम करने आते हैं। बहुत बड़ी संख्या में न्यायालयीन स्टाफ भी है। अपने प्रकरणों के लिए 30 से 40 हजार लोग रोजाना कोर्ट आते हैं। ऐसे में यहां एम्बुलेंस और प्राथमिक उपचार की सुविधा होनी चाहिए। यह वकीलों के लिए आवश्यक है। सरकार को यहां प्राथमिक उपचार सेवा और साधन उपलब्ध करवाने चाहिए। प्राथमिक उपचार मिलने से कम से कम अस्पताल पहुंचने तक पीड़ित को राहत मिल सकती है।
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