आयोग की सिफारिश... महिलाओं और बच्चों के लिए हर थाने में हो मिनी पुलिस स्टेशन
Commission's recommendation... There should be a mini police station for women and children in every police station
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के बाद महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एमएससीपीसीआर) ने राज्य भर के हर पुलिस स्टेशन में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष शाखाएं या "मिनी-पुलिस स्टेशन" स्थापित करने की सिफारिश की है। बदलापुर के स्कूल में हुए घटनाक्रम के बाद पुलिस द्वारा अपराध दर्ज करने में कथित देरी का मामला उठाते हुए महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने प्रेस से बात करते हुए एक विस्तृत योजना साझा की।
मुंबई : बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के बाद महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एमएससीपीसीआर) ने राज्य भर के हर पुलिस स्टेशन में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष शाखाएं या "मिनी-पुलिस स्टेशन" स्थापित करने की सिफारिश की है। बदलापुर के स्कूल में हुए घटनाक्रम के बाद पुलिस द्वारा अपराध दर्ज करने में कथित देरी का मामला उठाते हुए महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने प्रेस से बात करते हुए एक विस्तृत योजना साझा की।
उन्होंने कहा कि फिलहाल पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क, विशेष किशोर पुलिस इकाइयां और बाल कल्याण पुलिस अधिकारी हैं। ये ईकाइयां केवल महिलाओं और बच्चों की शिकायतों को दूर करने के लिए समर्पित नहीं हैं, जिसके कारण अक्सर जरूरत पड़ने पर प्रशिक्षित कर्मियों की अनुपलब्धता होती है। इन इकाइयों के अधिकारियों को अक्सर अन्य कार्य भी सौंप दिए जाते हैं। जिससे शिकायतों को दर्ज करने और जांच करने में देरी होती है।
उन्होंने कहा कि पुलिस थानों में अपराध शाखा इकाइयां विशेष रूप से अपराधों की जांच के लिए आरक्षित रहती हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिकारियों को अन्य कर्तव्यों में न लगाया जाए। चूंकि देश की आबादी में महिलाओं और बच्चों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है, हम न्याय और सुरक्षा की प्रक्रिया से इतनी बड़ी आबादी को बाहर नहीं रख सकते।
शाह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को दर्ज करने और उनकी जांच करने के लिए हर पुलिस स्टेशन में अपराध शाखा के समान एक समर्पित इकाई स्थापित करना महत्वपूर्ण है। शाह ने कहा कि उनका मानना है कि यदि एक विशेष शाखा स्थापित की जाती है तो ऐसे मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करना संभव होगा तथा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों का सुचारू पंजीकरण और जांच सुनिश्चित होगी।
इधर, बदलापुर मामले में राजनीति भी थमने का नाम नहीं ले रही है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग दो नाबालिग लड़कियों पर कथित यौन उत्पीड़न को लेकर बदलापुर में हुए विरोध प्रदर्शन के पीछे राजनीति देख रहे हैं, वे या तो असामान्य हैं या अपराधियों के संरक्षक हैं।
ठाकरे ने यह बात मुख्यमंत्री शिंदे के इस दावे पर कही, जिसमें शिंदे ने विरोध प्रदर्शन को राजनीति प्रेरित बताया था। उद्धव ठाकरे ने कहा कि 24 अगस्त को विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी द्वारा बुलाए गए बंद के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं है।
उद्धव ने कहा कि बंद का उद्देश्य इस बात के प्रति जागरूकता पैदा करना है कि महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन बहुप्रचारित ‘मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहन योजना’ जैसा नहीं है। यह गुस्से का प्रकटीकरण है। ठाकरे ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जब राज्य में बहनें सुरक्षित नहीं हैं तो लाड़की बहन योजना का क्या फायदा है।
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