ठाणे जिले में 3 शिक्षिकाओं पर अपने सहकर्मी से धोखाधड़ी करने के आरोप में FIR दर्ज
FIR registered against 3 teachers in Thane district for cheating their colleague
ठाणे जिले में ही एक परिवहन कंपनी के मालिक और चालक पर 15 लाख रुपये के माल की हेराफेरी करने के आरोप में FIR दर्ज किया गया है। ठाणे नगर पुलिस ने बताया कि माल को बीते 21 अगस्त को पटना में एक पते पर पहुंचाया जाना था, लेकिन यह अभी तक वहां नहीं पहुंचा है। उन्होंने बताया कि दोनों के खिलाफ बीते शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता के तहत आपराधिक धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
ठाणे: ठाणे जिले में तीन शिक्षिकाओं पर अपने एक सहकर्मी से धोखाधड़ी करने के आरोप में FIR दर्ज किया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। भिवंडी टाउन पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी शिक्षिकाओं में से एक ने अपने सहकर्मी को राष्ट्रीय बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लेने और फिर उसे देने के लिए राजी किया। यह मामला जुलाई 2020 का है।
उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी ने सहकर्मी को तीन लाख रुपये तो वापस दे दिए, लेकिन शेष राशि वापस देने के बहाने वह उसका आधार और पैन कार्ड ले गई और फिर एक सहकारी बैंक से उसके नाम पर दूसरा ऋण ले लिया। आरोपी ने सहकर्मी के नाम पर 15 लाख रुपए का ऋण लिया था। मामले में अन्य दो आरोपियों ने गवाह के तौर पर काम किया।” उन्होंने बताया कि तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य आरोपों पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।
जानकारी दें कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले में ही एक परिवहन कंपनी के मालिक और चालक पर 15 लाख रुपये के माल की हेराफेरी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। ठाणे नगर पुलिस ने बताया कि माल को बीते 21 अगस्त को पटना में एक पते पर पहुंचाया जाना था, लेकिन यह अभी तक वहां नहीं पहुंचा है। उन्होंने बताया कि दोनों के खिलाफ बीते शुक्रवार को भारतीय न्याय संहिता के तहत आपराधिक धोखाधड़ी सहित अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
वहीं बीते 30 अगस्त ठाणे के ही 45 वर्षीय कपड़ा व्यापारी से 47 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में दूसरे राज्य के दो कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।आरोपियों की पहचान गुजरात के भवरलाल प्रजापति और राजस्थान के मुकेश कुमार जायसवाल के रूप में हुई थी। भिवंडी निवासी शिकायतकर्ता ने बीते साल अप्रैल से जून के बीच व्यापारियों को 47 लाख रुपये से अधिक मूल्य के कपड़े की आपूर्ति की थी, लेकिन दोनों ने उसे खरीदे गए कपड़े के बदले में भुगतान ही नहीं किया था।
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