मुंबई: महिला पर अभद्र टिप्पणी करने पर 46 वर्षीय व्यक्ति को तीन महीने की जेल
Mumbai: 46-year-old man gets three months jail for making lewd comments on woman
महाराष्ट्र के मुंबई में एक रेलवे स्टेशन पर एक महिला पर अभद्र टिप्पणी करने के जुर्म में 46 साल के एक शख्स को कोर्ट ने तीन महीने जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला आठ साल तक चले केस के बाद आया है। आरोपी को 2016 में गिरफ्तारी के बाद जमानत मिल गई थी। महिला की शिकायत के मुताबिक, 30 मई 2016 को दोपहर करीब 2 बजे वह चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर महिलाओं के आरक्षित डिब्बे के पास लोकल ट्रेन का इंतजार कर रही थी। तभी आरोपी सुरेश कुमार वहां से गुजरा और उसने उस पर अभद्र टिप्पणी की।
मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई में एक रेलवे स्टेशन पर एक महिला पर अभद्र टिप्पणी करने के जुर्म में 46 साल के एक शख्स को कोर्ट ने तीन महीने जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला आठ साल तक चले केस के बाद आया है। आरोपी को 2016 में गिरफ्तारी के बाद जमानत मिल गई थी। महिला की शिकायत के मुताबिक, 30 मई 2016 को दोपहर करीब 2 बजे वह चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर महिलाओं के आरक्षित डिब्बे के पास लोकल ट्रेन का इंतजार कर रही थी। तभी आरोपी सुरेश कुमार वहां से गुजरा और उसने उस पर अभद्र टिप्पणी की। महिला ने उसका पीछा किया और प्लेटफॉर्म पर मौजूद एक टिकट निरीक्षक ने उसे पकड़ लिया। उन्होंने उसे रेलवे स्टेशन पर पुलिस के हवाले कर दिया। इसके बाद, महिला की शिकायत पर आरोपी सुरेश को भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए (1) (iv) (यौन उत्पीड़न) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
केस के दौरान आरोपी ने दावा किया था कि उसे झूठा फंसाया गया है। मगर अदालत ने कहा कि महिला के पास उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराने का कोई मकसद नहीं था, क्योंकि वे एक-दूसरे को जानते तक नहीं थे। अदालत ने यह भी कहा कि हालांकि इस घटना का महिला के अलावा कोई गवाह नहीं था, लेकिन घटनाओं के क्रम की पुष्टि अन्य लोगों की गवाही से हुई है। मुकदमे के दौरान टिकट निरीक्षक, ड्यूटी पर तैनात पुलिस और जांच अधिकारी ने भी गवाही दी।
हालांकि, अदालत ने कहा कि सिर्फ आरोपी द्वारा की गई टिप्पणी को देखते हुए, उसे आईपीसी की धारा 354ए के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने इसके बजाय उसे आईपीसी की धारा 509 (किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से शब्द, इशारा या कार्य) के तहत दोषी ठहराया। 15 अक्टूबर को अपने आदेश में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि इस केस में आरोपी को कड़ी सजा देना जरूरी है।
3000 रुपये जुर्माना भी लगाया
अदालत ने आरोपी को अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम का लाभ देने से इनकार कर दिया, जिसके अनुसार अपराधियों की एक निश्चित श्रेणी को शर्तों के अधीन बांड पर रिहा किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि तीन महीने की सजा से न्याय के उद्देश्य की पूर्ति होगी। कोर्ट ने आरोपी को 3,000 रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया। साथ ही जुर्माना नहीं भरने पर 15 दिन की अतिरिक्त जेल की सजा सुनाई।
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