सोलापुर : नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के जुर्म में पांच रिक्शा चालकों समेत आठ लोगों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा
Solapur: Eight people including five rickshaw drivers sentenced to double life imprisonment for sexually abusing a minor girl
जिला सत्र अदालत ने नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के जुर्म में पांच रिक्शा चालकों समेत आठ लोगों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि अन्य तीन आरोपियों को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
सोलापुर : जिला सत्र अदालत ने नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के जुर्म में पांच रिक्शा चालकों समेत आठ लोगों को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि अन्य तीन आरोपियों को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। सचिन श्रीकांत राठौड़ (उम्र 24), प्रवीण श्रीकांत राठौड़ (उम्र 22), गणेश उर्फ अक्षय विष्णु चव्हाण (उम्र 22, निवासी प्रतापनगर लामन टांडा, बीजापुर रोड, सोलापुर), करण विजयकांत भारले (उम्र 19, निवासी सोरेगांव, सोलापुर), गौरव विलास भोसले (उम्र 30, निवासी निराले वस्ती, मुरारजी पेठ, सोलापुर) साथ ही सभी रिक्शा चालक राज उर्फ राजकुमार सिद्रम देसाई (उम्र) 33, निवासी एसटी कॉलोनी, न्यू आरटीओ के पास, सोलापुर), दिनेश परशु राठौड़ (उम्र 19), आरोपियों के नाम सतीश अशोक जाधव (उम्र 30), रोहित श्याम राठौड़ (निवासी प्रतापनगर लामन टांडा, सोलापुर) हैं।
आरोपी सचिन राठौड़, राज उर्फ राजकुमार देसाई और गौरव भोसले को 20-20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई, जबकि अन्य आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस. वी. केंद्र ने इस मामले का फैसला सुनाया। इस मामले में पीड़ित नाबालिग लड़की पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखती है और अगस्त 2019 से जब वह सोलापुर में एक शैक्षणिक संस्थान में पढ़ाई कर रही थी, तब उसकी मुलाकात आरोपी सचिन राठौड़ नामक रिक्शा चालक से हुई। बाद में यह प्यार में बदल गया। वहीं से उसने पीड़ित लड़की को बहला-फुसलाकर एक लॉज में ले जाकर उसका यौन शोषण किया। ऐसा दो-तीन बार होने के बाद आरोपी सचिन राठौड़ के अन्य साथियों ने इसमें हिस्सा लिया।
जेड सोलापुर में उसके साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद सभी आरोपियों ने फिर से मारपीट की। इससे शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुकी पीड़ित लड़की ने अपने साथ हुए शोषण का खुलासा किया। उसकी शिकायत पर सभी आरोपियों के खिलाफ बीजापुर नाका पुलिस स्टेशन में अत्याचार अधिनियम और बाल यौन शोषण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। अपराध के बाद सभी आरोपी कर्नाटक में छिपे हुए थे। शहर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त अंकुश शिंदे ने इस अपराध को गंभीरता से लिया और गहन जांच के आदेश दिए। तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीति टिपरे ने जांच की।
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