HC ने बदलापुर यौन शोषण मामले में शिंदे सरकार से मांगा जबाव... निलंबित शिक्षा अधिकारी ने दायर की याचिका
HC seeks response from Shinde government in Badlapur sexual abuse case... Suspended punishment officer files petition
शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) के समक्ष उनकी याचिका की अंतिम सुनवाई होने तक निलंबन आदेश पर रोक लगाने का उच्च न्यायालय से आग्रह किया। एमएटी ने 26 अगस्त को उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को इस पद पर किसी अन्य अधिकारी की पदस्थापना करने से रोकने को लेकर निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
मुंबई: बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के कथित यौन शोषण की घटना के संबंध में महाराष्ट्र सरकार ने ठाणे जिले के एक शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया है। निलंबन की कार्रवाई को रोकने के लिए शिक्षा अधिकारी ने बंबई उच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। उसके निलंबन पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया गया है।
शिक्षा अधिकारी बालासाहेब रक्षे ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (एमएटी) के समक्ष उनकी याचिका की अंतिम सुनवाई होने तक निलंबन आदेश पर रोक लगाने का उच्च न्यायालय से आग्रह किया। एमएटी ने 26 अगस्त को उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को इस पद पर किसी अन्य अधिकारी की पदस्थापना करने से रोकने को लेकर निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को ठाणे जिले के एक शिक्षा अधिकारी की उस याचिका पर जवाब देने का शुक्रवार को निर्देश दिया जिसमें बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के कथित यौन शोषण की घटना के संबंध में उसके निलंबन पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया गया है।
शिक्षा अधिकारी ने आरोप लगाया है कि इस मामले में सरकार का आदेश ‘‘राजनीति से प्रेरित” है और उन्हें ‘‘बलि का बकरा” बनाया गया है। न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने सरकार को छह सितंबर तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। मामले में आगे की सुनवाई छह सितंबर को होगी।
शिक्षा अधिकारी रक्षे के वकील एस बी तालेकर ने अदालत से तब तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने कहा कि वह अगली सुनवाई में इस पर विचार करेगी। तालेकर ने तर्क दिया कि रक्षे ने कोई कदाचार नहीं किया और सरकार बदलापुर की घटना के बाद केवल अपना चेहरा बचाना चाहती थी।
रक्षे के वकील ने कहा कि ‘‘याचिकाकर्ता (रक्षे) को बलि का बकरा बनाया गया है। सरकार ने पहले मीडिया के सामने बयान दिया कि दो शिक्षा अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और इसके बाद निलंबन आदेश जारी किया।” रक्षे ने निलंबन आदेश को मनमाना, भेदभावपूर्ण बताते हुए इस पर रोक के लिए अंतरिम राहत को लेकर एमएटी का रुख किया था।
वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता रक्षे काे यौन उत्पीड़न की घटना के बारे में 18 अगस्त को पता चला और उन्होंने तुरंत अंबरनाथ ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया, उन्हें ठाणे जिले के बदलापुर में स्कूल का दौरा करने, जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा। याचिका में कहा गया है कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने 20 अगस्त को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसके बाद रक्षे ने स्कूल के अध्यक्ष, सचिव और प्रधानाध्यापक को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि नोटिस में स्कूल से परिसर में खराब पड़े सीसीटीवी कैमरों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
रक्षे ने कहा कि उन्होंने जांच रिपोर्ट पुणे के शिक्षा निदेशक (प्राथमिक) और मुंबई के शिक्षा उपनिदेशक (प्राथमिक) को भेज दी है। याचिका में कहा गया है कि ‘‘21 अगस्त को बदलापुर में स्कूल के प्रबंधन के लिए प्रशासकों की एक समिति गठित की गई थी। याचिकाकर्ता ने सभी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को सीसीटीवी, शिकायत पेटी और छात्रों की सुरक्षा समिति स्थापित करने का भी निर्देश दिया है।”
उन्होंने कहा कि ये कदम उठाए जाने के बावजूद, स्कूल शिक्षा मंत्री ने मीडिया में घोषणा की कि ठाणे के शिक्षा अधिकारी (रक्षे) को निलंबित कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि ‘‘याचिकाकर्ता को इस तथ्य के बावजूद निलंबित कर दिया गया है कि उसका प्री-प्राइमरी केंद्रों (प्राथमिक शिक्षा से पूर्व की पढ़ाई के लिए विद्यालयों) के नियमन और पर्यवेक्षण से कोई लेना-देना नहीं है।”
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