मनोज जरांगे पाटील का बड़ा ऐलान... मराठा समाज विधानसभा चुनाव लड़ेगा
Manoj Jarange Patil's big announcement... Maratha community will contest the assembly elections
मराठा बहुल सीटों पर उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने का नुकसान महायुति और महा विकास आघाडी दोनों को हो सकता है। वैसे, जरांगे का गुस्सा आघाडी से ज्यादा देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी पर रहा है, इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि बीजेपी को ज्यादा नुकसान होगा। वहीं, कुछ जानकार यह भी दावा कर रहे हैं कि मराठा उम्मीदवार चुनाव मैदान में होने से ओबीसी वोटर्स का ध्रुवीकरण होगा। ऐसे में, अगर महा विकास आघाडी और महायुति ने ओबीसी उम्मीदवार दिए, तो दोनों के बीच वोटों का विभाजन होगा और दोनों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के नायक मनोज जरांगे पाटील ने ऐलान किया है कि मराठा समाज विधानसभा चुनाव लड़ेगा। मनोज जरांगे ने कहा कि समय कम है, ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक मराठा उम्मीदवार नामांकन फॉर्म भर दें, लेकिन सूचित किए जाने पर नाम वापस लेने की भी तैयारी रखें। अपने गांव अंतरवाली सराटी में पिछले 2 दिन से चल रही सकल मराठा समाज की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
जरांगे की 3 प्रमुख घोषणाएं
1. जिस सीट पर मराठा उम्मीदवार के जीतने की गारंटी है, वहां चुनाव लड़ेंगे।
2. एससी/एसटी के लिए रिजर्व सीटों पर चुनाव लड़ रहे एससी/एसटी उम्मीदवारों में जो मराठा समाज के विचारों से सहमत है, उसे हम सपोर्ट करेंगे।
3. जहां मराठा समाज का उम्मीदवार नहीं होगा, उस सीट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से जो 500 रुपये के बॉन्ड पेपर पर यह लिखकर देगा कि मराठा समाज की सभी मांगों से सहमत है, उसे समर्थन दिया जाएगा।
मराठा उम्मीदवारों से फॉर्म भरने की अपील
जरांगे ने कहा कि मराठा समाज का जो उम्मीदवार कहने के बावजूद नाम वापस नहीं लेगा, समाज समझेगा कि उसने पैसा खाया है। उन्होंने कहा कि मराठवाडा की कई सीटों पर मराठा वोटिंग 1 लाख से ज्यादा है। इतने बहुमत को तोड़ना किसी के लिए भी संभव नहीं है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अन्य समीकरण महत्वपूर्ण हैं। वह उन समीकरणों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अगर समीकरण जुड़ गए तो ठीक है, लेकिन अगर नहीं जुड़े, तो सबके लिए मुश्किल होगी।
मराठा बहुल सीटों पर उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने का नुकसान महायुति और महा विकास आघाडी दोनों को हो सकता है। वैसे, जरांगे का गुस्सा आघाडी से ज्यादा देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी पर रहा है, इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि बीजेपी को ज्यादा नुकसान होगा। वहीं, कुछ जानकार यह भी दावा कर रहे हैं कि मराठा उम्मीदवार चुनाव मैदान में होने से ओबीसी वोटर्स का ध्रुवीकरण होगा। ऐसे में, अगर महा विकास आघाडी और महायुति ने ओबीसी उम्मीदवार दिए, तो दोनों के बीच वोटों का विभाजन होगा और दोनों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
हालांकि, यह भी एक सचाई है कि महाराष्ट्र में ओबीसी और मराठों की जनसंख्या लगभग समान है। ज्यादा से ज्यादा एक या दो पर्सेंट का अंतर है। इस समय ओबीसी बीजेपी के करीब है, जबकि मराठा समाज राजनीतिक रूप से बिखरा हुआ है। इसका एक बड़ा कारण आर्थिक विषमता है। यही वजह है कि मनोज जरांगे पाटील मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
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