मौत का हाईवे बनता जा रहा है मुंबई- पुणे एक्सप्रेस वे...4 महीने में 5,332 डेथ, 10 हजार से ज्यादा जख्मी
Mumbai-Pune Expressway is becoming the highway of death... 5,332 deaths in 4 months, more than 10 thousand injured

पूर्व विधायक विनायक मेटे की मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। ट्रैफिक एक्सपर्ट इसके पीछे एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने को वजह मानते हैं।
मुंबई: पूर्व विधायक विनायक मेटे की मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। ट्रैफिक एक्सपर्ट इसके पीछे एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने को वजह मानते हैं। हाइवे पर ट्रैफिक की गति के बारे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं कि एक्सप्रेस वे पर 2016 में प्रति 2 किमी की दूरी में 3 मौतें दर्ज की गई थीं, जो राष्ट्रीय औसत प्रति 2 किमी के दायरे में 1.5 मौतों से 150 फीसदी अधिक हैं।
यह आंकड़ा बताता है कि देश में सबसे घातक हादसा एक्सप्रेस वे पर ही होता है। राज्य परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी मिलिंद महैस्कर कहते हैं कि एक्सप्रेस वे पर चार पहिया वाहनों के लिए गति सीमा को 120 किमी प्रति घंटे से घटाकर 100 किमी प्रति घंटे करने से दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक अंकुश लगाने में मदद मिली है। बावजूद इसके, आज भी लोग लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हैं।
हालांकि, ट्रैफिक एक्सपर्ट जगदीप देसाई कहते हैं कि विदेशों की तरह भारत में भी भारी वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाना चाहिए, जिससे उनको लेन में चलने के लिए ट्रैक किया जा सके। राज्य परिवहन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सप्रेस वे पर होने वाली मौतों में कमी आई है। 2018 में 100 किलोमीटर के दायरे में 110 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2021 में यह संख्या 82 पर सिमट गई।
मुंबई में सड़क हादसे राज्य में होने वाले सड़क हादसों की तुलना में 42 फीसदी अधिक हैं। हाइवे ट्रैफिक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे राज्य में जनवरी से मई तक घटी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 19,833 है जिनमें से मुंबई में हुए सड़क हादसों की संख्या ही 8,768 है। हालांकि, पूरे राज्य में हुए सड़क हादसे में पिछले 4 महीने में 5,332 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
10 हजार से अधिक लोग जख्मी हो चुके हैं। इसके बावजूद राहत देने वाली बात है कि खराब सड़कें एवं इसकी वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में मुंबई में लोग कम मारे जाते हैं। यानी महानगर में घटने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों की अपेक्षा जख्मी होने वाले लोगों की संख्या अधिक होती है। इसके विपरीत अहमदनगर में 554, पुणे में 539, नासिक में 536 और कोल्हापुर में 406 सड़क हादसे जनवरी से मई के बीच दर्ज किए गए हैं।
ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट जगदीश देसाई के मुताबिक अधिकतर भारी वाहनों में लगी लाइट की रोशनी खराब होती है। इसके चलते रात में या मॉनसून के दौरान भारी वाहन चालक कार एवं मोटर चालकों को सही से देख नहीं पाते हैं, जो उनके लिए खतरनाक साबित होता है।
वहीं ट्रांसपोर्ट एक्सपर्ट संदीप सोनावणे के मुताबिक जहां कहीं अच्छी सड़कें होती हैं, उनकी वजह से भले ही सड़क हादसे कम होते हैं। लेकिन, जो होते हैं, उनमें मारे जाने वालों की संख्या अधिक होती है। इसीलिए, अन्य जिलों की अपेक्षा मुंबई में होने वाले सड़क हादसों में कम लोगों की मौत होती है, क्योंकि यहां की सड़कें खराब हैं।
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