पुणे : गोखले संस्थान के सचिव धन के दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार
Pune: Gokhale Institute secretary arrested for misappropriation of funds

प्रतिष्ठित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के फंड का जमीन खरीदने के नाम पर दुरुपयोग करने पर सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के सचिव को गिरफ्तार किया गया है। सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी जीआईपीई की मूल संस्था है। सचिव पर आरोप है कि उन्होंने जीआईपीई से जमीन खरीदने के लिए मिले फंड का गलत इस्तेमाल किया। संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार विशाल गायकवाड़ की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने सचिव मिलिंद देशमुख के खिलाफ कार्रवाई की।
पुणे : प्रतिष्ठित गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (जीआईपीई) के फंड का जमीन खरीदने के नाम पर दुरुपयोग करने पर सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के सचिव को गिरफ्तार किया गया है। सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी जीआईपीई की मूल संस्था है। सचिव पर आरोप है कि उन्होंने जीआईपीई से जमीन खरीदने के लिए मिले फंड का गलत इस्तेमाल किया। संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार विशाल गायकवाड़ की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने सचिव मिलिंद देशमुख के खिलाफ कार्रवाई की।
पुलिस के मुताबिक आरोपी सचिव देशमुख ने 2022-23 में जीआईपीई से मिले 1.50 करोड़ रुपये के फंड को सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी (एसआईएस) के लिए जमीन खरीदने के लिए डायवर्ट किया था। देशमुख के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 और 34 के तहत आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि एसआईएस सचिव के रूप में काम करते हुए देशमुख ने दिसंबर 2022 में गोखले संस्थान को अपने हस्ताक्षर से एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने नागपुर में एसआईएस की 1.5 करोड़ रुपये की कीमत की जमीन को फ्री होल्ड करने की मांग की।
सचिव ने बिना अनुमति मांगे गोखले संस्थान की मुहर लगे एसआईएस के लेटरहेड का इस्तेमाल किया। मांग पत्र मिलने पर गोखले संस्थान के प्रबंधन बोर्ड ने 14 दिसंबर 2022 को तुरंत जमीन फ्री होल्ड करने मंजूरी दे दी। फरवरी 2023 में जीआईपीई ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी को नागपुर में जमीन के लिए 1.50 करोड़ रुपये का भुगतान करने की सूचना दी।
इसके बाद देशमुख और उसके सहयोगियों ने धन में हेरफेर की। महज 1.02 करोड़ रुपये नागपुर जिला कलेक्टर के खाते में भेजे गए, जबकि शेष 40 लाख रुपये चेक के जरिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के खाते में भेजे गए। 40 लाख रुपये का इस्तेमाल पुराने दस्तावेज प्राप्त करने, स्टांप ड्यूटी, दस्तावेजीकरण, ठेकेदार शुल्क, प्रशासनिक व्यय और अन्य खर्चों के लिए किया गया। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इन खर्चों को देखते हुए लगता है कि उक्त राशि का दुरुपयोग आरोपी ने अपने फायदे के लिए किया।
कुलाधिपति को किया गया बहाल
जीआईपीई पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। इसके कुलाधिपति और ईएसी-पीएम सदस्य संजीव सान्याल को एसआईएस ने संस्थान के गिरते शैक्षणिक मानकों और नैक मान्यता प्रक्रिया में 'बी' ग्रेड के कारण हटा दिया गया था। फिर शनिवार को उन्हें बहाल कर दिया गया। सान्याल ने एसआईएस अध्यक्ष दामोदर साहू को लिखे एक पत्र में पिछले कुछ वर्षों में जीआईपीई में वित्तीय अनियमितता के विवादों और आरोपों की ओर इशारा किया था। सान्याल ने कहा था कि नैक मान्यता में संस्थान को प्राप्त खराब ग्रेड पूर्व नेतृत्वकर्ताओं के प्रदर्शन को दर्शाता है, क्योंकि यह उन पिछले वर्षों के आंकड़ों पर आधारित था, जब वह कुलाधिपति नहीं थे।
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