मुंबई मनपा के ३० प्रसूति गृहों की ऑडिट पूरी करने के लिए 4 महीने का अतिरिक्त समय...
Mumbai Municipal Corporation has been given 4 months' extra time to complete the audit of 30 maternity homes...

मुंबई हाई कोर्ट ने २९ जनवरी, २०२५ को बीएमसी संचालित ३० प्रसूति गृहों की सामाजिक ऑडिट के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था। यह निर्णय भांडुप स्थित सुषमा स्वराज मैटरनिटी होम में एक गर्भवती महिला और उसके नवजात की मृत्यु के बाद लिया गया, जहां कथित तौर पर बिजली गुल होने के कारण मोबाइल फोन की रोशनी में सर्जरी की गई थी। अदालत ने समिति को आठ सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
मुंबई : मुंबई हाई कोर्ट द्वारा गठित समिति को मुंबई मनपा के ३० प्रसूति गृहों की सामाजिक ऑडिट पूरी करने के लिए चार महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है। यह ऑडिट अस्पतालों की आधारभूत संरचना, सेवाओं की गुणवत्ता और अन्य कमियों की जांच के लिए किया जा रहा है।
मुंबई हाई कोर्ट ने २९ जनवरी, २०२५ को बीएमसी संचालित ३० प्रसूति गृहों की सामाजिक ऑडिट के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था। यह निर्णय भांडुप स्थित सुषमा स्वराज मैटरनिटी होम में एक गर्भवती महिला और उसके नवजात की मृत्यु के बाद लिया गया, जहां कथित तौर पर बिजली गुल होने के कारण मोबाइल फोन की रोशनी में सर्जरी की गई थी। अदालत ने समिति को आठ सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और नीला गोकले की खंडपीठ ने समिति को सामाजिक ऑडिट करने का निर्देश दिया। समिति ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में बताया कि यह ऑडिट सिर्फ आधारभूत संरचना की जांच तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें मरीजों और अन्य संबंधित पक्षों से परामर्श भी किया जाएगा।
अब २८ मार्च को समिति द्वारा अब तक की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। अप्रैल तक निरीक्षण पूरा करेगी, मई-जून में सामुदायिक बैठकें होंगी और जुलाई में अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी। समिति ने दो इंजीनियर और दो सेवानिवृत्त नर्सों को टीम में जोड़ने की सिफारिश की है, ताकि अस्पतालों की वास्तविक स्थिति बेहतर तरीके से समझी जा सके।
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