अब हॉस्पिटल में 10 मिनट में भर्ती हो जाएगा मरीज...मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में एमबीए ग्रेजुएट कर रहे भीड़ नियंत्रण

Now the patient will be admitted to the hospital in 10 minutes… MBA graduate doing crowd control in KEM Hospital, Mumbai

अब हॉस्पिटल में 10 मिनट में भर्ती हो जाएगा मरीज...मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में एमबीए ग्रेजुएट कर रहे भीड़ नियंत्रण

केईएम अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने की दिशा में अस्पताल प्रशासन समय-समय पर विभिन्न उपाय योजना करता रहा है। इसी कड़ी में कैजुअल्टी विभाग में भीड़ का प्रबंधन करने के लिए उठाए गए कदम का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। इसके लिए नियुक्त किए गए एमबीए स्नातकों की मदद से न सिर्फ कैजुअल्टी विभाग में भीड़ कम हुई, बल्कि इमर्जेंसी मरीजों की जांच से लेकर भर्ती तक 10 मिनट के भीतर हो रही है।

मुंबई: केईएम अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने की दिशा में अस्पताल प्रशासन समय-समय पर विभिन्न उपाय योजना करता रहा है। इसी कड़ी में कैजुअल्टी विभाग में भीड़ का प्रबंधन करने के लिए उठाए गए कदम का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। इसके लिए नियुक्त किए गए एमबीए स्नातकों की मदद से न सिर्फ कैजुअल्टी विभाग में भीड़ कम हुई, बल्कि इमर्जेंसी मरीजों की जांच से लेकर भर्ती तक 10 मिनट के भीतर हो रही है।

केईएम अस्पताल प्रशासन ने 16 जनवरी को 6 एमबीए स्नातकों की नियुक्ति की थी। यह नियुक्ति कैजुअल्टी विभाग की भीड़ को कम करने और मरीजों को होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए की गई थी। उनकी नियुक्ति के एक महीने के भीतर इन 6 'सेवा प्रबंधकों' ने केईएम अस्पताल की डीन डॉ. संगीता रावत को कई सुझाव दिए, जिसे अमल में लाते हुए प्रशासन को अपना यह प्रयोग सफल होता दिखाई दे रहा है।

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डॉ. रावत ने बताया कि सेवा प्रबंधकों के सुझाव के आधार पर एक महीने में कम से कम चार मुख्य निर्णय लिए गए हैं। टीम एक सप्ताह में एक सुझाव दे रही है। अस्पताल के सीएमओ डॉ. विश्वनाथ धूम ने बताया कि इन सेवा प्रबंधकों की भूमिका कैजुअल्टी विभाग के प्रवेश द्वार से ही शुरू हो जाती है। कैजुअल्टी में आने वाले मरीजों के साथ एक या उससे ज्यादा दो परिजन को आने की अनुमति है, लेकिन कभी-कभार मरीजों के साथ 4 से 5 परिजन आते हैं। हालांकि, इन्हें गेट पर तैनात कर्मचारी रोकते हैं, लेकिन परिजन नहीं मानते हैं। इन्हें काउंसलिंग देने का जिम्मा एमबीए स्नातकों पर छोड़ दिया जाता है।

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ऑन ड्यूटी एमबीए स्नातक परिजन को समझाते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि मरीज की देखभाल व इलाज बेहतर होगा। इसके साथ ही कैजुअल्टी में मरीजों के इलाज की अर्जेंसी को देखते हुए जांच प्रक्रिया से लेकर भर्ती प्रक्रिया प्राथमिकता पर करते हैं। इसके लिए वे डॉक्टर्स से समन्वय बनाते हैं। किसी मरीज को ब्लड आदि की जरूरत पड़ती है, तो ब्लड बैंक से भी समन्वय कर फौरन उपलब्ध कराते हैं। एमबीए स्नातक सुफियान सिद्दीकी ने बताया कि मरीज की अर्जेंसी को देखते हुए कैजुअल्टी के डॉक्टर्स उस मरीज की जांच करने के बाद उसे पिंक चिट्टी देते हैं, जिससे ईएमएस के डॉक्टर्स से लेकर जांच करने वाली टीम और भर्ती करने वाले डॉक्टर्स समझ जाते हैं कि मरीज को फौरन इलाज की जरूरत है। कैजुअल्टी में आने से लेकर भर्ती होने तक मरीज को सिर्फ 10 मिनट ही लगता है।

- रक्त संबंधी बीमारियों के लिए आने वाले रोगियों के एक समूह के लिए प्रवेश नियमों को आसान बनाना था। मौजूदा नियम के अनुसार, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया और ब्लड कैंसर के रोगियों को पहले ईएमएस में स्टैंप एंट्री फॉर्म के लिए कतार में लगना पड़ता था और फिर प्रक्रियाओं के लिए वॉर्ड नंबर-42 में जाना पड़ता था। सेवा प्रबंधक के सुझाव के अनुसार, रोगियों के इस समूह को उक्त स्टैंप की सुविधा सीधे उनके वॉर्ड में की गई है। इससे 50 से अधिक रोगियों को, जो आम तौर पर यहां लाइन में लगते हैं, अब इसकी आवश्यकता नहीं है।
- ओपीडी बिल्डिंग में डॉक्टर्स को दिखाने के लिए आने वाले मरीज, जिन्हें ब्लड टेस्ट या रेडियोलॉजी स्कैन की सलाह दी जाती है, उन्हें स्टैंप के लिए ईएमएस में आना पड़ता है। अब इसमें बदलाव किया गया है। इसके तहत, स्कैन या रक्त परीक्षण की जरूरत वाले मरीज ओपीडी भवन में ही लेक्चरर का साइन ले सकते हैं और प्रक्रिया के लिए जा सकते हैं। ऐसे सैकड़ों लोग की भीड़ ईएमएस विभाग से कम हो गई है।
- एमबीए टीम ने यह भी महसूस किया कि ईएमएस गेट पर ट्रॉली और वीलचेयर का जमावड़ा हो रहा था। अब मरीजों को भेजने वाले या भर्ती करने वाले विभिन्न विभागों को ईएमएस ट्रॉली के बजाय अपनी ट्रॉली या वीलचेयर का उपयोग करने के लिए कहा गया है।
- अस्पताल प्रशासन ईएमएस में कार्यरत हर उस कर्मचारी का काम तैयार कर रही है, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि कौन से कर्मचारी का कर्तव्य क्या है।

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